Tuesday, December 10, 2024
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अक्षय नवमी के दिन आँवले के पेड़ की पूजा की महिलाओं ने

जशपुर
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन आंवले के वृक्ष का पूजन-अर्चना परिक्रमा व ब्राह्मणों को भोजन व दान देने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय नवमी से द्वापर युग का आरंभ माना जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष का पूजन करने से भगवान विष्णु और शिव की कृपा प्राप्त होती है। पद्म पुराण के अनुसार, आंवला भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है और इसकी पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
आंवले के वृक्ष का पूजन करने से भगवान विष्णु और शिव की कृपा प्राप्त होती है। पद्म पुराण के अनुसार, आंवला भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है और इसकी पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने कुष्मांड नामक दैत्य का वध कर धरती पर धर्म की स्थापना की थी। इसी दिन श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पूर्व वृंदावन की परिक्रमा की थी। इसलिए अक्षय नवमी के दिन श्रद्धालु भक्त अयोध्या व मथुरा की परिक्रमा करते हैं। जो सनातन धर्मावल्म्बी भक्त अयोध्या न जा सकें वह अपने नजदीक पवित्र नदी या सरोवर में स्नान-दान करआंवले के वृक्ष के पास जाकर सफाई करें।
आंवले के पेड़ की पूजा हल्दी, चावल, कुमकुम या सिंदूर से आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है । सायंकाल में घी का दीपक जलाकर आंवले के वृक्ष की सात परिक्रमा करते है । इसके बाद खीर, पूरी और मिष्ठान का भोग लगाकर पूजा के बाद प्रसाद बांटा जाता है और वृक्ष के नीचे भोजन कर विशेष पुण्यदायक प्राप्त किया जाता है। अक्षय नवमी के दिन पितरों के निमित्त अन्न, वस्त्र, और कंबल का दान करने से पुण्य मिलता है । इस दिन किए गए पुण्य कर्म का फल अनंत गुना मिलता है।

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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