Monday, March 24, 2025
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गर्भवती महिला और स्कूली छात्र के नाम पर फर्जी भुगतान कर डकार गए करोड़ों की राशि…

डोंगरगढ़। वन विभाग ने भ्रष्टाचार की एक नई इबारत लिखी है! करोड़ों की शासकीय राशि के गबन का ऐसा तरीका अपनाया गया कि सुनकर दिमाग चकरा जाए. ग्रामीणों के बैंक खातों में मजदूरी के पैसे डाले गए और फिर लालच देकर उनसे वापस भी ले लिए गए. मजेदार बात यह है कि जिन लोगों के नाम पर भुगतान हुआ, उनमें एक गर्भवती महिला और एक नाबालिक स्कूली छात्र भी शामिल है! पूरा मामला वर्ष 2021 का है, जब डोंगरगढ़ वन परिक्षेत्र के बोरतलाव और खैरागढ़ जिले के कटेमा गांव में बांस-भिर्रा कटाई, मिट्टी चढ़ाई और फेंसिंग जैसे कार्यों के लिए शासन ने करोड़ों रुपए की राशि स्वीकृत की थी. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. शिकायतकर्ता विलास जांभुलकर के अनुसार, इन कार्यों के नाम पर ग्रामीणों के खातों में करोड़ों रुपए जमा किए गए, लेकिन असल में कोई काम हुआ ही नहीं. फिर क्या? वन विभाग के कर्मचारियों ने ग्रामीणों को झांसा देकर बैंक से पैसे निकलवाए और वापस ले लिए. बदले में उन्हें महज 1000 रुपये का झुनझुना थमा दिया गया!

गर्भवती महिला के नाम पर फर्जी भुगतान

भ्रष्टाचार की हद तो तब पार हो गई जब इस खेल में गर्भवती महिला और स्कूली छात्र तक को घसीट लिया गया. बछेराभाठा की एक महिला, जो उस वक्त गर्भवती थी, के नाम पर मजदूरी का भुगतान दिखाया गया. अब सवाल यह उठता है कि जो महिला उस समय गर्भवती थी, वह भला मजदूरी कैसे कर सकती थी?

स्कूली छात्र को कागज में बना दिया मजदूर

पीड़िता लोकेश्वरी सिन्हा ने बताया कि उसने कभी वन विभाग में काम नहीं किया, फिर भी उसके खाते में पैसे डाले गए और बाद में उससे वापस ले लिए गए. इसी तरह, ग्राम भंडारपुर के एक स्कूली छात्र हेमंत कुमार के नाम पर भी फर्जी भुगतान हुआ. स्कूल के प्रिंसिपल माधुरी साहू ने पुष्टि की कि वह छात्र रोजाना कक्षा में उपस्थित रहता था, लेकिन सरकारी कागजों में वह ‘वन विभाग में मजदूरी’ कर रहा था!

कार्रवाई के लिए सालों से खा रहे ठोकर

शिकायतकर्ता विलास जांभुलकर इस घोटाले के कागजों को लेकर पिछले तीन साल से दर-दर भटक रहे हैं. वन विभाग के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज कराई गईं, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात! प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत पहुंची, वहां से दस्तावेज भी मिले, मगर जांच फिर उन्हीं अफसरों को सौंप दी गई जो खुद इस भ्रष्टाचार के गुनहगार हैं. ऐसे में कार्रवाई की उम्मीद कैसे की जाए? मामला जितना बड़ा, उतनी ही गहरी इसकी जड़ें!

बड़ी मछलियों के शामिल होने की आशंका

करोड़ों के इस घोटाले में सिर्फ निचले स्तर के कर्मचारी ही नहीं, बल्कि बड़े अधिकारियों और नेताओं के शामिल होने की भी आशंका जताई जा रही है. यही वजह है कि भ्रष्टाचार साबित होने के बावजूद किसी पर कार्रवाई नहीं हो रही. डोंगरगढ़ वन विभाग का यह घोटाला भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है. सवाल यह है कि आखिर कब तक ऐसे घोटाले होते रहेंगे और कब तक शासन-प्रशासन आंखें मूंदे रहेगा?

जांच के नाम पर अधिकारी ने साधी चुप्पी

बहरहाल, जिम्मेदारों ने इस घोटाले की जांच करने फिर से एक तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है, जिसमें डोंगरगढ़ तहसीलदार मुकेश ठाकुर, उप वनमंडलाधिकारी पूर्णिमा राजपूत और मनरेगा अधिकारी विजय प्रताप सिंह को शामिल किया गया है लेकिन इस जांच कमेटी को बने भी अब तीन माह बीत चुके हैं अधिकारी अभी भी जांच का हवाला देकर चुप्पी साधे बैठे हैं.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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