रायपुर। राजधानी समेत राज्यभर की तहसीलों में जमीन के लंबित मामलों की संख्या एक लाख के पार हो गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह है एसआईआर का काम. इसमें तहसील के बड़े अफसरों से लेकर छोटे कर्मचारियों तक की ड्यूटी लगा दी गई है. सबको सख्त निर्देश है सबसे पहला काम एसआईआर का, इसके बाद ही कोई दूसरा काम करें.
18 दिसंबर तक मतदाता सूची के आंकड़े को 100% लाना है. यानी कोई भी पात्र व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं छूटना चाहिए. यही वजह है कि तहसीलों में सन्नाटा है. जिलों में जिस तेजी से जमीन और राजस्व मामलों के लंबित होने की संख्या बढ़ती जा रही है, उतनी ही तेजी से लोगों की परेशानी बढ़ रही है. अपनी ही जमीन पाने या उसकी खरीदी-बिक्री के लिए लोगों को अफसरों के आदेश का इंतजार करना पड़ रहा है.
परेशान भटक रहे लोग
जमीन का नामांतरण नहीं होने की वजह से खरीदी- बिक्री नहीं कर पा रहे हैं. डायवर्सन नहीं होने से आवासीय कमर्शियल निर्माण के लिए लोन नहीं ले पा रहे. वहीं ऑनलाइन बी-वन अपडेट नहीं होने की वजह से रजिस्ट्री में भी दिक्कत हो रही है. इसके अलावा राजस्व मामलों की सुनवाई नहीं होने की वजह से फैसले नहीं होने से काम अटके पड़े हैं. बार-बार तारीख देने से लोगों को बार-बार दफ्तर आना पड़ रहा है. इसके साथ दस्तावेज दुरुस्त नहीं होने की वजह से लोग अपनी ही जमीन के मालिक नहीं बन पा रहे हैं.

