Sunday, March 23, 2025
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पीएम-दक्ष का उद्देश्य SC/ST/OBC सफाई मित्रों का सामाजिक और आर्थिक विकास: बृजमोहन अग्रवाल 

सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने लोकहित के मामले में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री से सवाल पूछा

 SC/ST/OBC के उत्थान के लिए बनी पीएम-दक्ष योजना के संबंध में रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने लोकसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री से सवाल पूछे है।

जिसपर सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री बी एल वर्मा ने बताया कि, पीएम-दक्ष एक केंद्रीय क्षेत्र की स्कीम है जिसे वर्ष 2020-21 में अनुसूचित जातियों, जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों , कचरा बीनने वालों सहित सफाई मित्रों आदि जैसे विभिन्न लक्षित समूहों के योग्यता स्तर को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।

 जिससे उनके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए स्वरोजगार और कामकाजी-रोजगार दोनों में रोजगार योग्य बनाया जा सके। लक्षित समूह के अधिकांश व्यक्तियों के पास न्यूनतम आर्थिक परिसंपत्ति है; इसलिए, इन लाभवंचित लक्षित समूहों के आर्थिक सशक्तिकरण/उत्थान के लिए प्रशिक्षण का प्रावधान और उनकी क्षमताओं को बढ़ाना आवश्यक है। स्कीम के अंतर्गत, कोई भी ओबीसी और ईडब्ल्यूएस उम्मीदवार जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 3.00 लाख रुपये से कम है, प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए पात्र हैं, जबकि कचरा बीनने वालों सहित एससी / एसटी, सफाई मित्रों से संबंधित उम्मीदवारों के लिए कोई आय सीमा नहीं है।

इस स्कीम में वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक 450 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। वर्ष 2024-25 में पीएम-दक्ष स्कीम के अंतर्गत 130 करोड़ रुपये स्वीकृत है।

@छत्तीसगढ़ में साल 2022-23 में CSR मद से करीब 600 करोड़ रुपए के कार्य किए गए

रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कॉरपोरेट कार्य मंत्री से छत्तीसगढ़ समेत देश भर में सीएसआर मद के अंतर्गत विभिन्न सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा उपयोग की गई धनराशि का ब्यौरा मांगा है। जिसपर कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ने जानकारी दी है कि, छत्तीसगढ़ में वर्ष 2022-23 में CSR मद से करीब 600 करोड़ रुपए खर्च की गई है। जो की वर्ष 2021 -22 में करीब 300 करोड़ रुपए और 20-21 में 325.53 करोड़ रुपए थी। वहीं देश भर में यह राशि करीब 30 हजार करोड़ रुपए है। जो की 2122 में करीब 26600 करोड़ रुपए और 20-21 में करीब 26210 करोड़ रुपए थी।

@देश में इस्पात उत्पादन बढ़ाने और सुधारने के लिए सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मांगी जानकारी

इस्पात उत्पादन बढ़ने का सबसे बड़ा फायदा छत्तीसगढ़ होगा,  विकास के साथ रोजगार में भी बढ़ोत्तरी होगी

इस्पात उ‌द्योग में अकार्बनीकरण को बढ़ावा देने के सरकार विभिन्न स्तरों पर कर रही कार्य

छत्तीसगढ़ देश का बड़ा इस्पात उत्पादक राज्य है जहां देश का 38 फीसदी स्टील का उत्पादन होता है साथ ही राज्य में देश का कुल 20 फीसदी लौह अयस्क उपलब्ध है।  जिस कारण बीएसपी और इस्पात की कई बड़ी कंपनियों के यहां संयंत्र है, जो उत्पाद के साथ ही बड़ी संख्या में रोजगार भी उपलब्ध करा रही हैं। यह कहना है सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल का जिन्होंने  देश में इस्पात का उत्पादन बढ़ाने और सुधारने के लिए सरकार की योजनाओं की जानकारी मांगी थी

जिसपर इस्पात राज्य मंत्री ने जानकारी दी है कि, 

इस्पात उत्पादन में पिछले 5 सालों के वैश्विक रिकॉर्ड के मुताबिक

भारत 5.54 फीसदी वार्षिक वृद्धि के साथ विश्व में अग्रणी देश है। 

सरकार ने देश में विशेष इस्पात के विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजीगत निवेशों को आकर्षित कर आयात को कम करने के लिए विशेष इस्पात हेतु उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना शुरू की है। जिसके तहत विशेष इस्पात हेतु 29,500 करोड़ रुपए का प्रत्याशित अतिरिक्त निवेश और विशेष इस्पात के लिए लगभग 25 मिलियन टन  की अतिरिक्त क्षमता का सृजन अपेक्षित है।

देश में इस्पात के उपयोग, इस्पात की समग्र मांग और इस्पात क्षेत्र में निवेश को बढ़ाने के लिए रेलवे, रक्षा, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, आवासन, नागर विमानन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, कृषि एवं ग्रामीण विकास क्षेत्रों सहित संभावित उपयोगकर्ताओं के साथ और अधिक सहभागिता के साथ मेक इन इंडिया पहल और प्रधानमंत्री गति शक्ति मास्टर प्लान पर कार्य कर रहा है। जिसका लाभ छत्तीसगढ़ को भी मिलेगा।

इतना ही नहीं घरेलू स्तर पर उत्पन्न स्क्रैप की उपलब्धता को बढ़ाने हेतु स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति को अधिसूचित करना है। 

सरकार ‌द्वारा इस्पात उ‌द्योग में अकार्बनीकरण को बढ़ावा देने के सरकार इस्पात क्षेत्र के अकार्बनीकरण हेतु विभिन्न स्तरों पर चर्चा, विचार-विमर्श और सिफारिश करने के लिए उ‌द्योग, शिक्षाविदों, बु‌द्धिजीवियों, एस एंड टी निकायों, विभिन्न मंत्रालयी तथा अन्य हितधारकों को शामिल करते हुए 14 कार्यबलों का गठन किया गया है। 

इस्पात स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति, 2019 इस्पात निर्माण में कोयले की खपत को कम करने के लिए स्वदेशी रूप से उत्पादित स्क्रैप की उपलब्धता को बढ़ाती है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने हरित हाइड्रोजन के उत्पादन तथा उपयोग के लिए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को अधिसूचित किया है। इस्पात क्षेत्र को भी इस मिशन में एक हितधारक बनाया गया है।

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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