Wednesday, February 12, 2025
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खनिज माफिया का खतरनाक साम्राज्य, बिना मानक के खुदाई से नर्क बनी ग्रामीणों की जिंदगी

खैरागढ़। खैरागढ़ और राजनांदगांव जिले के सीमावर्ती इलाकों में खनिज माफिया के आतंक से ग्रामीणों की जिंदगी नरक बन चुकी है. बिना किसी मानक के अंधाधुंध खनन, अवैध ब्लास्टिंग और प्रदूषण ने इस इलाके को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है खैरागढ़ के ठेलकाडीह, दपका, बल्देवपुर, पेंड्रिकला और आसपास के इलाकों में खनिज माफियाओं का खौफनाक साम्राज्य फैला हुआ है. दो जिलो की सीमा पर स्थित होने और आधिकारिक साठ-गाँठ के चलते खदानों के संचालक पूरी तरह से बेख़ौफ़ हो चुके हैं. नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए, 100 फीट की वैध सीमा को पार कर 150 से 200 फीट तक खनन किया जा रहा है. यह खनन न सिर्फ़ पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि ग्रामीणों की जान-माल को भी जोखिम में डाल रहा है.

खेतों से लेकर घरों तक तबाही का मंजर

खनिज माफिया के अवैध खनन और ब्लास्टिंग ने पूरे क्षेत्र को प्रभावित किया है. गहरे खड्डों और लगातार हो रही ब्लास्टिंग से गांव के लगभग सभी मकानों में दरारें पड़ चुकी हैं. खेत बंजर हो गए हैं, और भूजल स्तर इस कदर गिर चुका है कि अब पानी के लिए भी मारामारी होने लगी है. ग्रामीणों का कहना है कि हर रोज़ धमाकों से उनकी ज़िंदगी दांव पर लगी हुई है. खनिज माफिया नियमों को रौंदते हुए बिना अनुमति के बड़े पैमाने पर ब्लास्टिंग कर रहे हैं.

बिना अनुमति के कर रहे ब्लास्ट

धमाकों से घरों की नींव हिल रही है, दीवारें दरक रही हैं, और पूरा इलाका कांप रहा है. धमाके इस कदर तेज़ होते हैं कि ग्रामीणों की नींद उड़ जाती है. इसके लिए न तो खान सुरक्षा महानिदेशालय से अनुमति ली जाती है, और न ही पुलिस को सूचना दी जाती है. धमाकों के बाद बड़े-बड़े पत्थर गांव में गिरते हैं, जिसके कारण कभी भी कोई अप्रिय घटना हो सकती है.

धूल से सड़क पर गुजरना हुआ मुहाल

खनन के कारण उड़ने वाली धूल ने इस क्षेत्र को पूरी तरह से अस्तित्वहीन बना दिया है. हाइवा और ट्रकों के भारी आवागमन से धूल का गुबार फैल रहा है. इस धूल से बच्चों का स्कूल जाना तक मुश्किल हो गया है. राहगीर और बच्चे धूल से लथपथ होकर घर लौटते हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है. इस धूल की वजह से ग्रामीण घरों में कपड़े और अनाज भी नहीं सूखा सकते.

शिकायतों पर विभाग ने मूंद ली आंख

खनिज विभाग और प्रशासन की लापरवाही ने इस इलाके में खनिज माफियाओं के हौसले को और मजबूत किया है. ग्रामीणों ने कई बार शिकायतें की हैं, लेकिन विभाग मूकदर्शक बना हुआ है. दो साल से जनसुनवाई नहीं हुई, और प्रशासन किसी भी तरह की कार्रवाई करने को तैयार नहीं है.

किसी खदान में नहीं है सुरक्षा घेरा

खैरागढ़ जिले में लगभग 21 खदानें हैं, जिनमें 150-200 फीट गहरे गड्ढे अब खतरनाक बन चुके हैं. किसी भी खदान में सुरक्षा घेरा नहीं है. खानापूर्ति के लिहाज से कहीं-कहीं पर थोड़ी-बहुत तारों की फैंसिंग दिख सकती है, सालों से बंद खदानों के गड्ढों को भरने की कोई कोशिश नहीं की जा रही है. इन गड्ढों के कारण हमेशा दुर्घटना का खतरा बना रहता है.

आंदोलन करना पड़ा ग्रामीणों को भारी

बीते साल ग्रामीणों ने प्रशासन को जगाने भीम रेजिमेंट के साथ मिलकर ठेलकाडीह में प्रदर्शन किया था, लेकिन रसूखदार खदान संचालकों ने आंदोलन करने वाले ग्रामीणों पर ही कार्रवाई करते हुए FIR दर्ज करा दी. कई वर्षों से ऐसे ही खदान संचालक और प्रशासनिक गठबंधन के द्वारा ग्रामीणों की आवाज़ को दबाया जा रहा है.

प्रशासन को तुरंत कदम उठाने की जरूरत

अब सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन इस खतरनाक स्थिति को गंभीरता से लेगा? क्या खनन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई होगी, या फिर यह खेल यूं ही चलता रहेगा? खैरागढ़ के ग्रामीणों की चीखें अब एक चेतावनी बन चुकी हैं. प्रशासन को तुरंत कदम उठाने होंगे, वरना आने वाले दिनों में हालात और भी खतरनाक हो सकते हैं.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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