Saturday, August 2, 2025
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रजिस्ट्री के बाद तुरंत नामांतरण की सुविधा का नहीं मिल पा रहा लाभ, ऋण पुस्तिका के लिए दरबार में हाजिरी लगानी जरूरी

रायपुर। साय सरकार ने आम लोगों को पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम कार्यालयों का चक्कर न लगाना पड़े इसके लिए जमीन की रजिस्ट्री के बाद तुरंत नामांतरण की सुविधा प्रदान की, लेकिन अधिकारी भी तू डाल-डाल, तो मैं पात-पात वाली तर्ज पर काम करते हुए इस सुविधा के लाभ से खरीदारों को वंचित कर रहे हैं. नई ऋण पुस्तिका के लिए खरीदारों को तहसीलदारों की दरबार में हाजिरी लगानी पड़ रही है. छत्तीसगढ़ सरकार ने इसी साल जून में नया नियम बनाया, जिसमें जमीन की रजिस्ट्री के बाद स्वतः नामांतरण हो जाता है. अब रजिस्ट्री के बाद जमीन खरीदार के नाम भी चढ़ जा रहा है, लेकिन जमीन की ऋण पुस्तिका के लिए खरीदारों को पहले पटवारी और उसके बाद तहसील कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है.

बताया जा रहा है कि तहसीलदारों ने पटवारियों को शासन के स्पष्ट गाइडलाइन नहीं होने का हवाला देते हुए नई ऋण पुस्तिका के लिए तहसील कार्यालय में आवेदन देना अनिवार्य कर दिया है. यह तो बहाना है इसके पीछे की मंशा साफ है कि खरीदार आवेदन के बहाने दरबार में हाजिरी लगाए, चढ़ावा चढ़ाए फिर काम होगा.

यह परेशानी आंकड़ों में साफ नजर आ रही है. जहां अकेले रायपुर जिले में ही ऐसे 3 हजार से ज्यादा मामले हैं, जिनमें खरीदारों को जमीन रजिस्ट्री के बाद जमीन की ऋण पुस्तिका नहीं मिल पाई है. वहीं प्रदेश की बात करें तो इस तरह के 50 हजार से ज्यादा मामले हैं.

मार कम, घसीट ज्यादा रहे हैं…

परेशान जमीन खरीदारों को आवेदन देने में कोई दिक्कत नहीं है, समस्या इसमें लगने वाले समय और टेबल के नीचे से ली जाने वाली रकम से है. मारना कम, घसीटना ज्यादा वाली कहावत यहां पर फिट बैठती है क्योंकि तहसीलदार के दरबार में चपरासी से लेकर बाबू, और बाबू के बहाने तहसीलदार तक रकम पहुंचानी पड़ती है. खरीदार कहते हैं कि रकम देने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन रकम लेने के बाद भी एक पेशी के बाद दूसरी पेशी में बुलाना उनके लिए भारी साबित होता है.

सोसायटी से लेकर बैंक तक दिक्कत

सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को है, जो खेती-किसानी के लिहाज से जमीन खरीदते हैं. ऋण पुस्तिका नहीं मिलने से सोसायटी में पंजीयन करवाने, सोसायटी से खाद्य व बीज उठाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. नई ऋण पुस्तिका के लिए पटवारी तहसीलदार पर जवाबदारी डाल दे रहे हैं, ऐसे में किसान शिकायत करे भी तो कहां करे.

हकीकत से अफसर-मंत्री नावाकिफ

ऑनलाइन ऋण पुस्तिका की जमीन हकीकत से न तो अफसर वाकिफ हैं, और न ही राजस्व मंत्री. निचले स्तर पर खेले जा रहे खेल से अनजान अफसर-मंत्री को लग रहा है कि ऋण पुस्तिका ऑनलाइन जारी हो रही है, जबकि हकीकत में नई ऋण पुस्तिका के लिए तहसील कार्यालय में एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों बार चक्कर लगाना पड़ रहा है. 

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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