Thursday, October 24, 2024
No menu items!
Homeछत्तीसगढ़हजारों क्विंटल धान भौतिक स्तर पर खोजने से नहीं मिल रहे हैं,...

हजारों क्विंटल धान भौतिक स्तर पर खोजने से नहीं मिल रहे हैं, जिससे शासन को करोड़ों रुपये का नुकसान

मुंगेली. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से समर्थन मुल्य में खरीदे गए करोड़ों के धान में से आज भी 84 हजार क्विंटल धान मुंगेली जिले के उपार्जन केंद्रों से उठाव होना बाकी है. सूत्रों के अनुसार धान रिकॉर्ड में से हजारों क्विंटल धान भौतिक स्तर पर खोजने से नहीं मिल रहे हैं, जिससे शासन को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा है. वहीं सम्बंधित जिम्मेदार एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं.

इस मामले को लेकर मुंगेली कलेक्टर राहुल देव ने सख्त रुख अपनाते हुए जीरो शार्टेज लाने के लिए समिति कर्मचारियों को सख़्त हिदायत दी है. उन्होंने दो टूक कहा कि पहली बार जिले में इतने एफआईआर नही हुए जितने दोषी अब जेल जाएंगे.

जानिए पूरा मामला

खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से समर्थन मूल्य में धान की खरीदी 1 नवम्बर से शुरू होकर 4 फरवरी तक की गई. मुंगेली जिले में इस बार 66 समिति के 105 उपार्जन केंद्रों में धान में 55 लाख 86 हजार क्विंटल बम्फर धान की खरीदी हुई. करीब 1 लाख 4 हजार किसानों ने अपना पंजीयन कराकर अपना धान बेचा था. 

बता दें, फरवरी माह से खरीदी भले ही बंद हुई लेकिन लापरवाही की वजह से आज दिनांक तक जिले में धान का उठाव नहीं हो सका. जिले के 35 उपार्जन केंद्रों से सभी धान का परिदान की जा चुकी है लेकिन 70 उपार्जन केंद्रों में आज भी 84 हजार क्विंटल धान खुले आसमान में बर्बादी होने के कगार पर पड़े हुए हैं, जिसकी कीमत तकरीबन 26 करोड़ 40 लाख रुपये आंकलन की गई है.

वही मुंगेली जिला पूरे प्रदेश में उठाव न करने के मामले में पहले स्थान पर है. समर्थन मूल्य में खरीदी के अनुबंध के अनुसार इस बर्बादी के जिम्मेदार समिति केंद्र, नोडल सीसीबी और विपणन विभाग है. लेकिन जब भी शार्टेज की स्थिति निर्मित होती है, तब आरोप-प्रत्यारोप कर सभी एक दूसरे पर जिम्मेदारी का ठीकरा फोड़ते हैं. इसी वजह से मामला हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद भी दोषी कार्रवाई से बच जाते हैं.

वहीं इस बार मुंगेली कलेक्टर के सख्त रवैय्ये से बड़ी मात्रा में शार्टेज को लेकर समितियों पर 4 एफआईआर की कार्रवाई की गई है. एक समिति गुरुवाइनडबरी में बिना डीओ के धान का परिवहन करते पाए जाने पर समिति प्रभारी और राइस मिल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. वहीं इसी समिति केंद्र पर लगभग 25 सौ क्विंटल धान के शार्टेज एफआईआर दर्ज करवाया गया है. 

करीब 70 उपार्जन केंद्रों के आंकड़ों पर नजर डालें तो छटन, जुनवानी, सिंघनपुरी, शुक्लाभांठा, पौनी, गुवाईनडबरी और कई ऐसे धान उपार्जन केंद्र हैं जहां रिकार्ड में हजारो क्विंटल धान नजर आता है.

जानिए समिति कर्मचारियों का क्या कहना है

समिति केंद्र के कर्मचारियों का कहना है धान का शार्टेज नहीं है, वजन का शार्टेज है. जिसकी वजह से शार्टेज आना लाजमी है, और ये सब इस वजह से निर्मित हुआ कि धान का समय पर उठाव नही हो पाया. साथ ही अब राइस मिलर्स उठाव के लिए कमीशन के आधार पर उठाव की बात करते हैं.

वहीं सहायक पंजीयक हितेश कुमार श्रीवास का कहना है कि कलेक्टर के निर्देश पर गठित टीम भौतिक सत्यापन कर रही है जहां बड़ी मात्रा में शार्टेज होगा वहां एफआईआर की कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है, कि अनुबंध हुई संस्था की मध्यस्थता करते हुए कलेक्टर इसका निराकरण करे. जो दोषी है उसपर 45 दिवस के भीतर कार्रवाई की जाए.

हाईकोर्ट की शरण

उठाव की समस्या को लेकर समिति केंद्र कर्मचारियों ने हाईकोर्ट की शरण ली है. जिसपर हाईकोर्ट ने 2 महीने के भीतर यानी 30 मई तक उठाव करने के आदेश दिए थे. लेकिन उठाव नहीं हो सका. 

विपणन विभाग के अधिकारी शीतल भोई ने बताया, कि टारगेट से ज्यादा खरीदी धान होने और जिले में मिलिंग की क्षमता कम होने से दूसरे जिले के मिलरों के ऊपर निर्भर रहने की वजह से ऐसी स्थिति बनी है. रही बात डीओ की तो मुख्यालय स्तर में डीओ अप्रैल तक काट दिया गया है और बार-बार समिति कर्मचारी उठाव का बहाना बनाकर विपणन विभाग पर जो ठीकरा फोड़ते हैं, तो प्रासंगिक व्यय के लिए समिति केंद्रों को सुरक्षित भंडारण एवं रखरखाव के लिए 17 रुपये प्रति क्विंटल के दर से मार्कफेड के द्वारा सीसीबी बैंक को भुगतान किया जाता है, जिसे खरीदी के पहले ही बैंक के माध्यम से समिति केंद्रों को भुगतान किया जाता है. 

समिति अगर जीरो शार्टेज लाता है तो प्रोत्साहन राशि के रूप में 5 रुपये प्रति क्विंटल के दर से समिति प्रबन्धक, आपरेटर और प्रभारी को दिया जाता है. इसके अतिरिक्त समिति की तरफ से खरीदी की गई धान की मात्रा में लगभग 32 रुपये प्रति क्विंटल कमीशन दिया जाता है.

क्या अमानक है धान ?

राइस मिलर्स उठाव न करने के लिए डीएमओ को पत्र मिला है, जिसपर कहा गया है कि उपार्जन केंद्रों में धान अमानक स्तर के हैं. इस वजह से उठाव नहीं किया जा रहा. साथ ही कुछ ऐसे मिलर्स हैं जिनका डीओ कई महीने से कट चुका है, लेकिन उठाव नही किया गया है. इसपर भी मुंगेली कलेक्टर राहुल देव ने ने संज्ञान लेते हुए 6 राइसमिलर्स को ब्लैकलिस्ट और पंजीयन निरस्त करने सम्बंधित जिले के कलेक्टर को पत्रव्यवहार किया है.

वहीं डीएमओ ने बताया कि उठाव के लिए नए नियम से लाभ होगा जहां बताया गया है, कि जो मिलर्स उठाव करने के इच्छुक नहीं हैं, वो अपना डीओ निरस्त करने आवेदन जिला कार्यालय में देंगे. जिन्हें पेनाल्टी के साथ निरस्त किया जाएगा. इसके साथ ही जो उठाव के इच्छुक हैं उन्हें जिला से उठाव के लिए डीओ काटा जाएगा, ताकि उपार्जन केंद्रों से परिदान किया जा सके.

क्या कहा कलेक्टर ने

मुंगेली कलेक्टर राहुल देव ने सख्त लहजे में कहा, कि समिति केंद्र को जीरो शार्टेज लाने कहा गया है. कोई दिक्कत हो तो वो मुझसे सीधा बात करें. जीरो शार्टेज के लिए उनको कितना प्रतिशत चाहिए वो आकर बताएं, इसपर भी निराकरण नहीं करते हैं तो कलेक्टर को जो प्राप्त शक्तियां होती है, उसका उपयोग कर रहा हूं. दोषी कोई भी हो छोड़ा नही जाएगा.

कौन है जिम्मेदार ..?

जिले में अब तक सबसे बड़े शार्टेज की स्थिति निर्मित हो रही है, जिसकी सबसे बड़ी वजह लापरवाही है. समिति केंद्र कर्मचारी उठाव की बात कहते हैं, अब उपार्जन केंद्र में धान ही नहीं तो उठाव कैसे होगा? अमानक धान को राइस मिलर्स उठाव करने में हिचक रहे, तो निराकरण होगा कैसे? वहीं कई ऐसे दागी कर्मचारी जिसकी नियुक्ति कर दी जाती है, तो यही भ्रष्टाचार का खेल करते हैं? यानी कहा जा सकता है कि यह बड़ी भूल है या फिर खुली छूट.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular

Would you like to receive notifications on latest updates? No Yes