Thursday, January 23, 2025
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अलविदा सिंघ साहब……”लगा सका ना कोई उसके क़द का अंदाज़ा,वो आसमां था मगर सर झुकाये फिरता था’।डॉ मनमोहन सिंह जी का 92 वर्ष की आयु में निधन,समूचा विश्व शोकाकुल,पढ़े डॉ सिंघ की जीवनी

नई दिल्ली

अलविदा सिंघ साहब……
“लगा सका ना कोई
उसके क़द का अंदाज़ा,
वो आसमां था मगर
सर झुकाये फिरता था’।

देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन की सूचना स्तब्ध करने वाली है। आप 92 वर्ष के थे, भारत के आर्थिक सुधारों में आपका योगदान ऐतिहासिक रहा है। आपके नेतृत्व में भारत ने उदारीकरण, वैश्वीकरण और आर्थिक विकास की राह पकड़ी, जिसने करोड़ों भारतीयों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया।आपकी सादगी, धैर्य और निस्वार्थ सेवा का उदाहरण हमे सदैव प्रेरणा देता रहेगा। ओर पूरा देश आपके योगदान को हमेशा याद रखेगा।

रविन्द्र सिंह भाटिया संपादक एवम पीपी न्यूज़ परिवार महान अर्थशास्त्री, डॉ मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक व्यक्त करता है




सरदार मनमोहन सिंह जी का जन्म : २६ सितंबर १९३२– मृत्यु: २६ दिसम्बर २०२४)
92 वर्ष की आयु में निधन हुआ,
भारत के १३वें प्रधानमन्त्री थे। साथ ही साथ वे एक अर्थशास्त्री भी थे।
लोकसभा चुनाव २००९ में मिली जीत के बाद वे जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमन्त्री बने, जिनको पाँच वर्षों का कार्यकाल सफलता पूर्वक पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला था।
इन्हें २१ जून १९९१ से १६ मई १९९६ तक पी वी नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मन्त्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों के लिए भी श्रेय दिया जाता हैं।

डॉ मनमोहन सिंह जी का जन्म तत्कालीन महापंजाब में २६ सितम्बर,१९३२ को हुआ था।डॉ मनमोहन सिंह जी का 26 दिसम्बर 2024 को 92 साल की उम्र में दिल्ली में निधन हुआ ।उनकी माता का नाम श्रीमती अमृत कौर और पिता का नाम सरदार गुरुमुख सिंह था।
देश के विभाजन के बाद डॉ सिंह का परिवार भारत चला आया। यहाँ पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की। बाद में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गये। जहाँ से उन्होंने पीएच. डी. की। तत्पश्चात् उन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी. फिल. भी किया।


उनकी पुस्तक इंडियाज़ एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ भारत की अन्तर्मुखी व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है।


डॉ॰ सिंह ने अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की। वे पंजाब विश्वविद्यालय और बाद में प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकनामिक्स में प्राध्यापक रहे।


इसी बीच वे संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन सचिवालय में सलाहकार भी रहे और १९८७ तथा १९९० में जेनेवा में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे।


१९७१ में डॉ॰ सिंह भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किये गये। इसके तुरन्त बाद १९७२ में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया। इसके बाद के वर्षों में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं।


भारत के आर्थिक इतिहास में हाल के वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब डॉ॰ सिंह १९९१ से १९९६ तक भारत के वित्त मन्त्री रहे। उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों का प्रणेता माना गया है। आम जनमानस में ये साल निश्चित रूप से डॉ॰ सिंह के व्यक्तित्व के इर्द-गिर्द घूमता रहा है।

डॉ॰ सिंह के परिवार में उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर और तीन बेटियाँ हैं।

राजनीतिक जीवन

1985 में राजीव गांधी के शासन काल में डॉ मनमोहन सिंह जी को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने निरन्तर पाँच वर्षों तक कार्य किया, जबकि १९९० में यह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए। जब पी वी नरसिंहराव प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने डॉ मनमोहन सिंह जी को १९९१ में अपने मंत्रिमंडल में सम्मिलित करते हुए वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंप दिया। इस समय डॉ॰ मनमोहन सिंह जी न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा के सदस्य थे। लेकिन संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सरकार के मंत्री को संसद का सदस्य होना आवश्यक होता है। इसलिए उन्हें १९९१ में असम से राज्यसभा के लिए चुना गया।

डॉ मनमोहन सिंह जी ने आर्थिक उदारीकरण को उपचार के रूप में प्रस्तुत किया और भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाज़ार के साथ जोड़ दिया। डॉ॰ मनमोहन सिंहजी ने आयात और निर्यात को भी सरल बनाया। लाइसेंस एवं परमिट गुज़रे ज़माने की चीज़ हो गई।

निजी पूंजी को उत्साहित करके रुग्ण एवं घाटे में चलने वाले सार्वजनिक उपक्रमों हेतु अलग से नीतियाँ विकसित कीं। नई अर्थव्यवस्था जब घुटनों पर चल रही थी, तब स्व श्री पी. वी. नरसिम्हा राव को कटु आलोचना का शिकार होना पड़ा। विपक्ष उन्हें नए आर्थिक प्रयोग से सावधान कर रहा था। लेकिन श्री राव ने डॉ मनमोहन सिंह जी पर पूरा यक़ीन रखा। मात्र दो वर्ष बाद ही आलोचकों के मुँह बंद हो गए और उनकी आँखें फैल गईं। उदारीकरण के बेहतरीन परिणाम भारतीय अर्थव्यवस्था में नज़र आने लगे थे और इस प्रकार एक ग़ैर राजनीतिज्ञ व्यक्ति जो अर्थशास्त्र का प्रोफ़ेसर था, का भारतीय राजनीति में प्रवेश हुआ ताकि देश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके।

पद

डॉ मनमोहन सिंह पहले पंजाब यूनिवर्सिटी और बाद में दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकॉनॉमिक्स में प्रोफेसर के पद पर थे। १९७१ में डॉ मनमोहन सिंह भारत सरकार की कॉमर्स मिनिस्ट्री में आर्थिक सलाहकार के तौर पर शामिल हुए थे। १९७२ में डॉ मनमोहन सिंह वित्त मंत्रालय में चीफ इकॉनॉमिक अडवाइज़र बन गए। अन्य जिन पदों पर वह रहे, वे हैं– वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष। मनमोहन सिंह 1991 से राज्यसभा के सदस्य हैं। १९९८ से २००४ में वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। मनमोहन सिंह ने प्रथम बार ७२ वर्ष की उम्र में २२ मई २००४ से प्रधानमंत्री का कार्यकाल आरम्भ किया, जो अप्रैल २००९ में सफलता के साथ पूर्ण हुआ। इसके पश्चात् लोकसभा के चुनाव हुए और भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की अगुवाई वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन पुन: विजयी हुआ और डॉ सिंह दोबारा प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए।

जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव
१९५७ से १९६५ – चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय में अध्यापक
१९६९-१९७१ – दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रोफ़ेसर
१९७६ – दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में मानद प्रोफ़ेसर
१९८२ से १९८५ – भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर
१९८५ से १९८७ – योजना आयोग के उपाध्यक्ष
१९९० से १९९१ – भारतीय प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार
१९९१ – नरसिंहराव के नेतृत्व वाली काँग्रेस सरकार में वित्त मन्त्री
१९९१ – असम से राज्यसभा के सदस्य
१९९५ – दूसरी बार राज्यसभा सदस्य
१९९६ – दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में मानद प्रोफ़ेसर
१९९९ – दक्षिण दिल्ली से लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन हार गये।
२००१ – तीसरी बार राज्य सभा सदस्य और सदन में विपक्ष के नेता
२००४ – भारत के प्रधानमन्त्री
इसके अतिरिक्त उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और एशियाई विकास बैंक के लिये भी काफी महत्वपूर्ण काम किया है।

पुरस्कार एवं सम्मान
सन १९८७ में उपरोक्त पद्म विभूषण के अतिरिक्त भारत के सार्वजनिक जीवन में डॉ॰ सिंह को अनेकों पुरस्कार व सम्मान मिल चुके हैं जिनमें प्रमुख हैं: –

२००२ – सर्वश्रेष्ठ सांसद
१९९५ में इण्डियन साइंस कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार,
१९९३ और १९९४ का एशिया मनी अवार्ड फॉर फाइनेन्स मिनिस्टर ऑफ द ईयर,
१९९४ का यूरो मनी अवार्ड फॉर द फाइनेन्स मिनिस्टर आफ़ द ईयर,
१९५६ में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्कार
डॉ॰ सिंह ने कई राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। अपने राजनैतिक जीवन में वे १९९१ से राज्य सभा के सांसद तो रहे ही, १९९८ तथा २००४ की संसद में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं।

अनेक सहयोगियों एवम बायोग्राफी से साभार संपादित

रविन्द्र सिंह भाटिया 9755884666

Ravindra Singh Bhatia
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Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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