Monday, September 15, 2025
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कैबिनेट विस्तार: बाल की खाल और खिचड़ी की थाल – समरेंद्र शर्मा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल का विस्तार आखिरकार हो गया. महीनों से अटका पड़ा यह मामला जैसे ही निपटा, लोग ऐसे समीक्षा में लगे हैं कि मानो पड़ोसी के घर शादी में मिठाई कम पड़ गई हो. मजेदार बात यह है कि जिनका इससे दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं, वही सबसे ज्यादा माथापच्ची कर रहे हैं.

विस्तार से पहले यही लोग हल्ला मचा रहे थे कि सरकार अधूरी है, जगह खाली है. किसी को भी बनाओ तो सही और अब जब विस्तार हो गया तो सुर बदल गए. सवाल दागे जाने लगे कि इसको क्यों लिया, उसको क्यों छोड़ा, अमुक संभाग से क्यों नहीं लिया और जातीय समीकरण क्यों बिगाड़ दिया. हाल वही ना खाने देंगे, ना चैन से सोने देंगे.

गली-मोहल्लों में पान दबाए बैठा हर दूसरा शख्स अपने-अपने हिसाब से कैबिनेट का गणित निकालना शुरू कर दिया है. कोई कह रहा है अजय को किनारे कर दिया, अमर को छोड़ दिया, रेणुका और लता की अनदेखी कर दी. पर सच तो यह है कि अगर इन्हें भी ले लिया जाता तो यही लोग ठीकरा फोड़ते. दरअसल, आपत्ति करना ही इनका पेशा है.

उधर, विपक्ष का अपना ही राग है. जिनका नाम मंत्रिमंडल में नहीं आया, उनके लिए दुःख भरी प्रेस कांफ्रेंस हो रही है. जिनका नाम आ गया, उन पर भी तंज कसे जा रहे हैं. विपक्ष का काम ही यही है कि खिचड़ी में नमक कम है, का गीत गाते रहो, चाहे थाली में पुलाव ही क्यों न परोसा गया हो.

हमारे मुखिया जी ने खूब समझदारी दिखाई. विस्तार किया और फौरन प्रदेश के लिए निवेश तलाशने फॉरेन निकल गए. यही तो दूरदर्शिता है. यहां रुककर हर किसी की पटर-पटर सुनने से कहीं बेहतर है कि बाहर जाकर राज्य का भला करना. वैसे भी लौटते-लौटते आलोचना की भैंस पानी पी जाएगी और शोर अपने आप थम जाएगा.

दूसरी तरफ जनता जनार्दन को इस पूरे हंगामे से भला क्या लेना-देना? उसने तो एक बार वोट डाल दिया, अब पांच साल केवल अखबार पढ़ सकती है, टीवी पर बहस सुन सकती है और मन ही मन यही गुनगुना सकती है- लोगों का काम है कहना… सुनते रहिए कहना. मतलब इस सारी फसाद की जड़ ससुरी टीवी और न्यूज – व्यूज ही हैं क्या? बड़ा कन्फ्यूजन है इसमें. पर एक बात तो साफ है कि राजनीति का असली गणित यही है. मंत्री बनाओ तो बुराई, न बनाओ तो और बड़ी बुराई. विपक्ष के लिए बस एक छोटी-सी सलाह है कि जब आपकी सरकार बने, तो सबको मंत्री बना दीजिए. चाहे फूफा हों, भतीजे हों या पोस्टर बॉय. क्योंकि इन्होंने भी तो आपके वाले दो पुराने साथियों को एडजस्ट किया ही है. फिर से कह रहा हूं जनता तो वैसे भी चुपचाप तमाशा देखने की मजबूरी लिए बैठी है.तो जनाब, मंत्रिमंडल विस्तार की बाल की खाल निकालने से बेहतर है थोड़ा चैन की सांस लीजिए. राजनीति का उसूल बड़ा सीधा है. करे कोई, भरे कोई… और बोले सब. (थोड़ा मुस्कुराइए… यह केवल मुस्कुराने के लिए ही है).

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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