Saturday, September 13, 2025
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NHM कर्मचारियों की हड़ताल का असर: महारानी अस्पताल में बढ़ी अव्यवस्था, नगर निगम ने पहली बार मोबाइल टावर कंपनी पर की कार्रवाई

जगदलपुर. जगदलपुर के महारानी अस्पताल में एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल के कारण अव्यवस्था बढ़ रही है. यहां कर्मचारियों की कमी होने से मरीजों को अब मजबूर होकर प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने जाने पड़ रहा है. इसके अलावा शहर में नगर निगम ने पहली बार मोबाइल टावर कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए दो टावर को सील की कार्रवाई की है.

एनएचएम कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल का असर अब सीधे अस्पतालों में दिखने लगा है. बारिश के मौसम में रोजाना 500 से 800 मरीज अस्पताल पहुँच रहे हैं, लेकिन स्टाफ की कमी के कारण इलाज में भारी परेशानी हो रही है. शहर के हृदय स्थल में स्थित महारानी हॉस्पिटल की स्थिति सबसे गंभीर है. यहां मरीजों को स्ट्रेचर पर खुद परिजन वार्ड तक ले जाते हुए देखे जा रहे हैं. कई जगह तो परिजन खाली स्ट्रेचर लेकर मरीज को लाने भी जा रहे हैं.

दरअसल, लगभग 900 एनएचएम कर्मचारी सोमवार से अपनी 10 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. इसके चलते अस्पताल में उनकी कमी साफ झलक रही है. इलाज करवाने पहुंचे मरीज रुद्राक्ष ने बताया मेरा पैर फैक्चर हुआ था. पर्ची कटवाने के बाद पता चला कि अस्पताल में इलाज करने वाले ही नहीं हैं. अब मजबूरी में प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ेगा जहां खर्चा ज्यादा होगा. इसी तरह मरीज के परिजन श्रीनिवास राव रथ ने कहा कि बरसात में वायरल फीवर और अन्य बीमारियों के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. मगर स्टाफ की कमी से इलाज नहीं मिल पा रहा. अस्पताल में एक ही बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज चल रहा है. वहीं, श्रीकांत रथ ने भी अपनी परेशानी बताई कहा मैं अपने चाचा को लेकर आया था लेकिन हड़ताल के चलते स्टाफ नहीं है. अस्पताल में अव्यवस्था इस कदर है कि दो मरीज एक ही बेड पर लेटे हैं

दावे और हकीकत में फर्क

इन हालातों पर अस्पताल अधीक्षक डॉ. संजय प्रसाद का कहना है कि महारानी हॉस्पिटल को उसी तरह संचालित किया जा रहा है, जैसा पहले चल रहा था. रेगुलर कर्मचारी पूरी सेवाएं दे रहे हैं, किसी प्रकार की अव्यवस्था नहीं है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयां कर रही है. हड़ताल के चलते मरीज और उनके परिजन इलाज के लिए भटक रहे हैं और सरकारी अस्पतालों पर से भरोसा उठता दिख रहा है.

पहली बार मोबाइल टावर पर निगम ने की कार्रवाई

जदगलपुर नगर निगम ने मोबाइल कंपनियों की मनमानी पर अब सख्ती शुरू कर दी है. बिना नवीनीकरण शुल्क दिए टावर चलाने वाली कंपनियों पर निगम ने पहली बार बड़ी कार्रवाई की है. मंगलवार को नगर निगम ने इंडस टावर और एटीसी टावर को सील कर दिया है. निगम का कहना है कि यदि सात दिनों के भीतर बकाया राशि जमा नहीं की गई, तो बाकी टावरों को भी सील कर दिया जाएगा.

राजस्व सभापति संग्राम सिंह राणा ने बताया कि कंपनियों को 5 अगस्त को ही अल्टीमेटम दिया गया था, लेकिन किसी ने शुल्क नहीं जमा किया. कुल 84 टावर से 1 करोड़ 56 लाख 80 हजार रुपए का शुल्क बकाया है, जिसमें अब तक सिर्फ 31 लाख 50 हजार रुपए की ही वसूली हो पाई है. शहर में 170 से ज्यादा मोबाइल टावर हैं, जिनमें से 84 टावर का शुल्क नहीं मिला है. इनमें इंडस टावर लिमिटेड के 15 टावर से 43.95 लाख, एटीसी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रालि. के 10 टावर से 38 लाख, सम्मिट डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रालि. के 18 टावर से 5.40 लाख, वायरलेस टीटी इन्फो लि. के 9 टावर से 31.05 लाख, बीटीए सेलकॉन के 4 टावर से 11.80 लाख, भारती इंफ्राटेल एयरटेल के 7 टावर से 26.60 लाख और बीएसएनएल के 21 टावर से 5.50 लाख रुपए की वसूली बाकी है.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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