Tuesday, July 15, 2025
No menu items!
Homeछत्तीसगढ़पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे का 72 वर्ष की उम्र में निधन, मंच...

पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे का 72 वर्ष की उम्र में निधन, मंच से कहा था – “मुझको अंतिम सांस तक भाजपा चाहिए”

 रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ के प्रख्यात हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने दिवंगत कवि को श्रद्धांजली देते हुए कहा कि अचानक मिली उनके निधन की सूचना से स्तब्ध हूं…

सीएम साय ने अपने सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्वीटर) पर लिखा कि “छत्तीसगढ़ी साहित्य व हास्य काव्य के शिखर पुरुष, पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. अचानक मिली उनके निधन की सूचना से स्तब्ध हूँ. अपने विलक्षण हास्य, तीक्ष्ण व्यंग्य और अनूठी रचनात्मकता से उन्होंने न केवल देश-विदेश के मंचों को गौरवान्वित किया, बल्कि छत्तीसगढ़ी भाषा को वैश्विक पहचान दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई. “

उन्होंने आगे लिखा- “जीवनपर्यंत उन्होंने समाज को हँसी का उजास दिया, लेकिन आज उनका जाना हम सभी को गहरे शोक में डुबो गया है. उनकी जीवंतता, ऊर्जा और साहित्य के प्रति समर्पण सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा. ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं शोकाकुल परिजनों और असंख्य प्रशंसकों को इस दुःख की घड़ी में संबल प्रदान करें. ॐ शांति!”

बता दें,  छत्तीसगढ़ी भाषा के जाने-मानें हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द दुबे का आज निधन हो गया है. उन्होंने ACI में इलाज के दौरान आज अंतिम सांस ली. उनकी तबीयत अचानक खराब होने पर उन्हें रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया था. लेकिन हार्ट अटैक आने से उनका निधन हो गया. उनके निधन के बाद साहित्य जगत में शोक की लहर है. प्रदेश के वित्त मंत्री ओपी चौधरी और रायपुर कलेक्टर गौरव सिंह और परिवार समेत कई लोगों ने ACI अस्पताल पहुंचकर उनके अंतिम दर्शन किए.

पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे की जीवन

8 अगस्त 1953 को बेमेतरा, छत्तीसगढ़ में जन्मे डॉ. दुबे पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक थे, लेकिन पहचान उन्होंने एक साहित्यकार और हास्य कवि के रूप में बनाई. भारतीय साहित्य के साथ ही छत्तीगसढ़ी भाषा में उनकी पकड़ बेहद मजबूत थी. उन्होंने पांच किताबें लिखी हैं और कई मंचो और TV शो पर दिखाई दिए. उन्हें भारत सरकार द्वारा वर्ष 2010 में देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

इससे पहले पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे को वर्ष 2008 में काका हाथरसी से हास्य रत्न पुरुस्कार प्राप्त हुआ था. वर्ष 2012 में पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान, अट्टहास सम्मान और संयुक्त राज्य अमेरिका में लीडिंग पोएट ऑफ इंडिया सम्मान प्राप्त हो चुके हैं.

अंतर्राष्ट्रीय सम्मान

बता दें, पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे ने छत्तीसगढ़ की माटी से लेकर देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी कविताओं से सबका दिल जीता है. उन्हें अमेरिका (America) के वाशिंगटन (Washington) में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी एसोसीएशन द्वारा आयोजित समारोह में पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे को हास्य शिरोमणि सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया था. नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन की ओर से शिकागो में पद्मश्री डॉ. सुरेन्द दुबे को छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान से भी सम्मानित किया गया था.

हास्य और व्यंग से मानवीय संवेदनाओं को छुआ

डॉ. सुरेंद्र दुबे ने हास्य और व्यंग्य जैसी विधाओं को सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक चिंतन का जरिया बनाया. मंच पर उनकी प्रस्तुति, शब्दों का चयन और आत्मविश्वास दर्शकों को प्रभावित करता था. उन्होंने अपनी कविताओं से केवल हँसाया नहीं, बल्कि सामाजिक विसंगतियों, राजनीतिक हलचलों और मानवीय संवेदनाओं को भी छुआ और लोगों को सोचने पर मजबूर भी किया.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular

Would you like to receive notifications on latest updates? No Yes