Monday, December 1, 2025
No menu items!
Homeछत्तीसगढ़ट्रॉली हादसे की असली वजह आज तक सामने नहीं, हादसे की जांच...

ट्रॉली हादसे की असली वजह आज तक सामने नहीं, हादसे की जांच अधूरी: श्रद्धालुओं की जान भगवान भरोसे

डोंगरगढ़। मां बम्लेश्वरी मंदिर तक जाने वाला रोपवे फिर से शुरू हो चुका है। श्रद्धालु पहाड़ी के ऊपर ने नीचे और नीचे से उपर का सफर कर रहे हैं, लेकिन बीते 24 अप्रैल को हुए ट्रॉली हादसे की असली वजह आज तक सामने नहीं आई। जांच अधूरी है, जिम्मेदार अज्ञात हैं और रोपवे का संचालन एक अस्थायी मैनुअल व्यवस्था के सहारे फिर चालू कर दिया गया है।

बता दें कि हादसे के बाद कलेक्टर, एसपी और मंदिर ट्रस्ट ने दावा किया था कि जब तक सुधार नहीं होंगे, रोपवे बंद रहेगा। लेकिन महज डेढ़ महीने बाद ही संचालन फिर से शुरू हो गया। जमीन पर जो बदलाव किए गए हैं, वो फिलहाल स्थाई समाधान नहीं, बल्कि खतरों के बीच तात्कालिक इंतजाम हैं।

ट्रॉली मैनुअल ब्रेक से रोकी जा रही, जांच अब तक अधूरी

जहां 24 अप्रैल को ट्रॉली पलटी थी, वहां से दो मीटर पहले एक अस्थायी चबूतरा बना दिया गया है। अब रोपवे की ट्रॉली को मैनुअल ब्रेक लगाकर वहीं रोका जाता है। श्रद्धालु उसी चबूतरे पर उतारे जाते हैं और फिर ट्रॉली को हाथ से खींचकर आगे ले जाया जाता है, जहां से वापसी के लिए श्रद्धालुओं को ट्रॉली में चढ़ाया जाता है ।

यह पूरी व्यवस्था दिखाती है कि तकनीकी सुधारों की बातें कागज़ों पर तो हैं, लेकिन जमीनी सुरक्षा फिलहाल मानव प्रयासों पर टिकी हुई है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिहाज से यह बेहद चिंताजनक है।

ट्रस्ट का दावा: दो महीने में स्थाई समाधान

मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने बताया कि हादसे के बाद NIT रायपुर और विशेषज्ञों की टीम ने सर्वे किया था। उन्होंने जो मापदंड तय किए, उसी के आधार पर चबूतरे की व्यवस्था की गई है। ड्रॉइंग और डिज़ाइन का काम पूरा हो चुका है और दो से तीन महीने में स्थाई निर्माण किया जाएगा। एनआईटी और रोपवे कंपनी ने संचालन की अनुमति दी है, जिसे प्रशासन के माध्यम से लागू किया गया।

एसडीएम अभिषेक तिवारी ने भी कहा कि तय दिशा-निर्देशों के मुताबिक संचालन शुरू हुआ है, लेकिन सुधार की प्रक्रिया अभी भी जारी है।

बड़ा सवाल: जब तक स्थाई समाधान नहीं,क्या तब तक जोखिम में रहेगी जान ?

हकीकत ये है कि 24 अप्रैल को हुए हादसे की जांच अब तक पूरी नहीं हुई है। यह तय नहीं हो पाया है कि हादसे की असली वजह क्या थी और जिम्मेदार कौन है। किसी पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसके बावजूद रोपवे फिर शुरू कर देना कहीं न कहीं श्रद्धालुओं की जान के साथ जोखिम जैसा है।

डोंगरगढ़ रोपवे का संचालन सिर्फ एक सेवा नहीं, बल्कि हज़ारों श्रद्धालुओं की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। जब स्थाई समाधान आने में महीने लगेंगे, तब तक मैनुअल सिस्टम पर चलने वाला यह रोपवे कितना सुरक्षित है? क्या कोई अगली दुर्घटना होने पर फिर वही “जांच करेंगे” कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया जाएगा?

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular

Would you like to receive notifications on latest updates? No Yes