Saturday, December 13, 2025
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जांच नाके पर चल रही अवैध वसूली में जंगल दरोगा समेत कई अधिकारियों का संरक्षण सामने आया है

बलरामपुर। जिले के अंतरराज्यीय वनोपज जांच नाका धनवार में नीलगिरी लकड़ी के अवैध परिवहन का बड़ा नेटवर्क संचालित होने का खुलासा हुआ है। आरोप है कि नाका प्रभारी जंगल दरोगा मथुरा प्रसाद दुबे और उनके सहयोगियों द्वारा प्रतिदिन लाखों रुपये की वसूली कर फर्जी परिवहन अनुज्ञा (टीपी) बनवाकर ट्रकों को बॉर्डर पार कराया जाता था। छत्तीसगढ़ से उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्यों में जा रही लकड़ी के दस्तावेज तैयार करवाने और अधिकारियों से सुरक्षा दिलाने के नाम पर यह पूरा खेल लंबे समय से चलाया जा रहा था।

सूत्रों के अनुसार, नाका में सफाईकर्मी के रूप में पदस्थ सुरेश यादव स्वयं को वन विभाग का सिपाही बताकर लकड़ी कारोबारियों से व्हाट्सऐप कॉल के माध्यम से संपर्क करता है और फोनपे के जरिए भारी रकम लेता है। अधिकारियों के मूवमेंट, चेकिंग की वास्तविक स्थिति, रोकथाम की लोकेशन और गाड़ी कब, कैसे और कहां से निकलनी है, इसकी पूरी जानकारी भी वही उपलब्ध कराता था। अवैध कार्यों की अदायगी के बाद ही बिना टीपी वाले वाहनों को रात के अंधेरे में सीमा पार कराया जाता था।

स्टिंग ऑपरेशन में उजागर पूरा रैकेट

मीडिया के स्टिंग में संपूर्ण गतिविधि के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। कॉल रिकॉर्डिंग, व्हाट्सएप चैट, स्क्रीनशॉट, लेनदेन का विवरण और वाहनों की लोकेशन सहित कई मजबूत प्रमाण सामने आए हैं। नाका प्रभारी के संरक्षण में अवैध कटाई और अवैध परिवहन के इस नेटवर्क में सुरेश यादव की भूमिका सबसे अहम बताई जा रही है। जसपुर से फर्जी ट्रांसपोर्ट परमिट (टीपी) उपलब्ध कराने का जिम्मा भी उसी के पास रहता है।

वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

सूत्रों का दावा है कि वाड्रफनगर उपवन मंडला अधिकारी प्रेमचंद मिश्रा की भूमिका भी इस पूरे प्रकरण में संदिग्ध प्रतीत हो रही है। विभाग के भीतर ही कुछ चयनित अधिकारियों के संरक्षण में यह धंधा बड़े स्तर पर संचालित किया जा रहा था, जिससे शासन को प्रतिदिन लाखों की राजस्व हानि हो रही है।

जांच के निर्देश, कार्रवाई की तैयारी

संलिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों की काली कमाई का भंडाफोड़ होने के बाद लकड़ी कारोबारी ने पूरे मामले की शिकायत जिला पुलिस अधीक्षक एवं वन मंडलाधिकारी से की है। शिकायत के बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक द्वारा पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर आवश्यक वैधानिक कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए हैं। इस खुलासे के बाद आस पास के जिले में चल रहे अवैध कटाई और परिवहन के मामलों पर वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं। अब देखना होगा कि जांच के बाद किन अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की गाज गिरती है और कब तक यह वन माफिया नेटवर्क पूरी तरह ध्वस्त हो पाता है।

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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