Saturday, July 12, 2025
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छत्तीसगढ़ में भांग की खेती को वैध करने की याचिका की खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- नीति तय करना सरकार का काम, कोर्ट का नहीं

बिलासपुर. हाईकोर्ट (Chhattisgarh Highcourt) ने छत्तीसगढ़ में भांग की व्यावसायिक खेती की वकालत करते हुए दायर की गई जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि कोई भी जनहित याचिका तब तक नहीं चलेगी जब तक कि इसमें व्यक्तिगत हित शामिल है. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डीबी में हुई. याचिकाकर्ता एस. ए. काले ने जनहित याचिका दायर कर प्रतिवादी अधिकारियों को छत्तीसगढ़ के नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए ‘गोल्डन प्लांट’ भांग के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लाभों का दोहन करने सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की.

याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से बताया कि उन्होंने 22.02.2024 को सभी संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से ज्ञापन देकर पावती ली है. लेकिन, प्रतिवादियों द्वारा अब तक एक भी सामान्य या विशिष्ट कार्रवाई नहीं की गई है, जिसमें याचिकाकर्ता को जवाब देना भी शामिल है. इसके अलावा, उक्त प्रतिनिधित्व में, उन्होंने ‘गोल्डन प्लांट’ के कई लाभों पर प्रकाश डाला है, जो कई शोधों और सरकारी रिपोर्टों द्वारा समर्थित हैं. यह दर्शाता है कि इस ‘गोल्डन प्लांट’ में छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए “नई पीढ़ी की सोने की खान” होने की क्षमता है. उन्होंने आगे तर्क दिया कि नारकोटिक्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम, 1985 (एनडीपीएस अधिनियम) के अनुसार बागवानी और औद्योगिक उपयोगों के लिए भांग की बड़े पैमाने पर खेती भारतीय कानून द्वारा अनुमत है.

नीति तय करना सरकार का काम, कोर्ट का नहीं : बिलासपुर हाईकोर्ट

कोर्ट ने तर्कों के बाद कहा कि, अच्छी तरह से स्थापित है कि कोई भी जनहित याचिका तब तक नहीं चलेगी जब तक कि इसमें व्यक्तिगत हित शामिल हो. याचिकाकर्ता ने जनहित की आड़ में इस न्यायालय से संपर्क किया है, जिसमें ऐसे निर्देश मांगे गए हैं जो राज्य की विधायी और कार्यकारी नीति के दायरे में आते हैं. न्यायालय सरकार को नीतिगत निर्णय लेने का निर्देश नहीं दे सकते, खासकर मादक पदार्थों पर नियंत्रण जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में. एनडीपीएस अधिनियम के तहत भांग की खेती प्रतिबंधित है, सिवाय विशिष्ट अनुमत उद्देश्यों और वैधानिक प्रक्रिया के, भांग की खेती आम तौर पर चिकित्सा, वैज्ञानिक, औद्योगिक या बागवानी उद्देश्यों को छोड़कर और केवल सरकारी प्राधिकरण के साथ प्रतिबंधित है. याचिकाकर्ता ने न तो कोई जनहित प्रदर्शित किया है और न ही उचित कानूनी तंत्र का पालन किया है. वर्तमान याचिका एक ऐसी याचिका है जिसे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कहा जा सकता है. संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत जनहित में अधिकार क्षेत्र का आह्वान किया जा सके वैसी याचिका नहीं है. हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर याचिकाकर्ता द्वारा जमा की गई सुरक्षा राशि जब्त करने का निर्देश दिया है.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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