Wednesday, January 15, 2025
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सेजबहार में वर्ष 2017 में गोली मारकर की गई एक चर्चित हत्या के मामले में हाईकोर्ट ने चार आरोपियों को बरी कर दिया

बिलासपुर. रायपुर के सेजबहार में वर्ष 2017 में गोली मारकर की गई एक चर्चित हत्या के मामले में हाईकोर्ट ने चार आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि केवल हथियार की बरामदगी दोषसिद्धि का आधार नहीं बन सकती, अपराध करने का कोई स्थापित उद्देश्य साबित होना चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ के इस फैसले में मोहम्मद यासीन, शेख गुफरान अहमद, मोहम्मद आसिफ अहमद और शेख समीर अहमद को 2017 में बबलू उर्फ इरफान की हत्या के मामले में सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया. इन चारों आरोपियों को पहले ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया था, लेकिन हाईकोर्ट ने साक्ष्यों के गंभीर विश्लेषण के बाद उन्हें बरी कर दिया.

मामला 15 जून 2017 का है, जब शिकायतकर्ता ने बताया कि बबलू उर्फ ​​इरफान एक पारिवारिक समारोह से लौट रहे थे. तभी रायपुर के सेजबहार के पास मोटरसाइकिल सवार चार नकाबपोश लोगों ने उनकी कार को रोकी और इरफान के सिर में गोली मार दी. मामले में पुलिस ने पुरानी रंजिश व शिकायतकर्ता के बयान के आधार पर चार आरोपियों को गिरफ्तार किया व उनके पास से हथियार जब्त कर न्यायालय में चालान पेश किया. सत्र न्यायालय से आरोपियों को सजा हुई. इसके खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील पेश की.

जानिए पूरा मामला

इस मामले में शिकायतकर्ता राजीव भोसले ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनके सहयोगी बबलू उर्फ इरफान की कुछ अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. घटना रायपुर के सेजबहार इलाके में हुई थी, जहां भोसले और इरफान एक पारिवारिक समारोह से लौट रहे थे. भोसले के मुताबिक, चार नकाबपोश मोटरसाइकिल सवारों ने उनकी कार को रोका और उनमें से एक व्यक्ति, जिसे बबलू ने आसिफ के रूप में पहचाना, ने बबलू के सिर में गोली मार दी. इस हमले में बबलू की मौके पर ही मौत हो गई. मामले की सुनवाई के दौरान बताया गया कि हत्या का कारण आरोपियों और मृतक के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी थी. ट्रायल कोर्ट ने राजीव भोसले सहित चश्मदीद गवाहों की गवाही और आरोपियों से बरामद हथियारों के फोरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराया था.

इधर मामले की हाईकोर्ट में अपील में आरोपियों ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष उनकी पहचान और अपराध में उनकी संलिप्तता को निर्णायक रूप से स्थापित करने में विफल रहा. एकमात्र चश्मदीद गवाह राजीव भोसले की गवाही में कई असमानताएं थीं, जिनमें अभियुक्तों की गलत पहचान शामिल है. इसके अलावा उन्होंने इस तथ्य पर भी जोर दिया कि बरामद हथियारों की बैलिस्टिक जांच में देरी हुई थी, जिससे सबूतों की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है.

हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रस्तुत साक्ष्यों का गंभीरता से विश्लेषण किया और पाया कि मामले में कई महत्वपूर्ण विसंगतियां थीं. साथ ही गवाह राजीव भोसले द्वारा आरोपियों की पहचान में कई गलतियां हुई थीं. हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि आपराधिक मामले में दोषसिद्धि तभी हो सकती है, जब अपराध को उचित संदेह से परे साबित किया गया हो. संदेह या कमजोर सबूत दोषसिद्धि का आधार नहीं बन सकते. अदालत ने यह भी नोट किया कि अभियोजन पक्ष हत्या के पीछे के स्पष्ट मकसद को स्थापित करने में असफल रहा. इस तथ्यों के चलते हाईकोर्ट ने चारों आरोपियों की दोषसिद्धि को रद्द कर उन्हें बरी कर दिया.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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