Thursday, September 19, 2024
No menu items!
Homeछत्तीसगढ़स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सी गई है कमेटी की रिपोर्ट पर मोक्षित कॉर्पोरेशन...

स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सी गई है कमेटी की रिपोर्ट पर मोक्षित कॉर्पोरेशन ने मचाई लूट, आखिर क्यों नहीं हो रही है कार्रवाई ?

रायपुर। जिस कमेटी की रिपोर्ट से जनता का पैसा को मोक्षित कॉर्पोरेशन ने लूटा, राज्य का कोष ख़ाली हुआ, जिसकी वजह से वर्तमान में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सी गई है, उस कमेटी का बाल भी बांका नहीं हुआ है. इस कमेटी पर न कोई कार्रवाई की गई है, और न ही इसे जाँच के दायरे में रखा गया है. स्वास्थ्य विभाग इस कमेटी पर मेहरबान को लेकर सवाल उठ रहे हैं. 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, संचालनालय स्वास्थ्य सेवाए ने 15-05-23 को पाँच सदस्यीय समिति गठित किया था, जिसकी ज़िम्मेदारी क्रय एवं आपूर्ति के संबंध में परीक्षण करना था. समिति में उप संचालक संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं डॉक्टर अनिल परसाई, पैथोलॉजी विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय रायपुर डॉ पी महेश्वरी, पैथोलॉजी विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय रायपुर डॉ. सत्यनारायण पांडेय, वरिष्ठ लैब टेक्नीशियन हमर लैब रायपुर प्रकाश साहू और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज़ कॉरपोरेशन रायपुर क्षिरौद रौतिया शामिल हैं.

IMA ने उठाया सवाल

IMA के अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता ने कहा कि ख़रीदी के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमेटी बनायी जाती है. ये कमेटी तय करता है कि कितनी ख़रीदी करना है, कितना आवश्यकता है. प्रदेश में जो रीएजेंट की ख़रीदी हुई है, इसके लिए प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. ज़िलों से डिमांड मंगाया जाता था, वो नहीं मंगाया गया है. राज्य से डिमांड बनाकर ख़रीदी की गई है. ख़रीदी कमेटी के विशेषज्ञ डॉक्टर उतने ही ज़िम्मेदार है, जितने और दूसरे लोग.

जाँच कमेटी के राडार से बाहर क्यों?

सात विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमेटी ने तय किया था कि लगभग 400 करोड़ के लिए एजेंट ख़रीदी की जाएगी. उनके प्रस्ताव पर ही ख़रीदी हुई, लेकिन फिर कमेटी जाँच के दायरे में ये क्यों नहीं है?

राज्य स्तरीय ख़रीदने का नहीं था प्रावधान

छत्तीसगढ़ में रीएजेंट ख़रीदने का अधिकार ज़िलों को दिया गया था. लेकिन पहली बार ज़िलों से बिना प्रस्ताव माँगे राज्य स्तरीय डिमांड दिया गया था.

छूटा होगा तो जाँच में लेंगे

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि समग्र जाँच के निर्देश दी गई. अगर जाँच के दायरे से ये बिन्दु भी बाहर है, तो हम इस बिंदु को जाँच में शामिल कराएंगे. अभी जाँच प्रक्रियाधीन है, इसलिए इसमें ज़्यादा नहीं बोल सकता.

ज़िम्मेदार होंगे विशेषज्ञ डॉक्टर

स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने बताया स्वास्थ्य विभाग में जब भी दवा, कैमिकल, मशीनों की ख़रीदी होती है. इसके पहले विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम बनाकर उनसे प्रस्ताव लिया जाता है, उसके बाद आगे की कार्रवाई होती है, उनके प्रस्ताव के आधार पर ख़रीदी होती है. अगर इसमें गड़बड़ी है तो बिल्कुल विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ज़िम्मेदार होगी.

कुछ इस तरह हुआ है बंदरबांट

स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते है कि मोक्षित कॉर्पोरेशन अपने और कई अलग-अलग नामों से टेंडर लेकर स्वास्थ्य विभाग में सप्लाई का काम करता है. जांच में पता चला है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के आउटर में उरला, भनपुरी, बिरगांव, मंदिरहसौद और अभनपुर स्थित स्थित सीएससी-पीएससी में हार्ट, लीवर, पेंक्रियाज, अमोनिया लेवल और हार्ट अटैक की जांच करने वाला रीएजेंट सप्लाई किया है, जबकि इनकी जांच पीएससी में होती ही नहीं है.

इतना ही नहीं जहां ये सप्लाई किया गया है, वहां जांच करने वाले जरूरी उपकरण और मशीनें ही उपलब्ध नहीं है. अब सवाल ये है कि यदि उपकरण ही नहीं है तो रीएजेंट क्यों सप्लाई की गई? कई शासकीय अस्पताल तो ऐसे भी हैं, जहां करोड़ों रुपए के रीएजेंट केवल खपाने के चक्कर में डंप करवा दिए गए हैं.

सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर करते हैं इलाज

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि लीवर फंक्शन टेस्ट केवल सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर लिखते हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एडिनोसिन डीएम इमेज रीएजेंट भेज दिया गया है. इस रीएजेंट से लीवर फंक्शन की जांच की जाती है. इस जांच की सुविधा भी आउटर या शहर के किसी भी छोटे हेल्थ सेंटर में नहीं है. इसके बावजूद यहां भेज दिया गया है.

आईसीयू में करते हैं जांच

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, एलडीएलबी लीवर फंक्शन की जांच केवल आईसीयू में की जाती हैं. इसके बावजूद सिरम लिपेस रीएजेंट भी बड़े पैमाने पर सप्लाई कर दिया गया है. इसी तरह मैग्नीशियम सीरम की जांच भी केवल आईसीयू में भर्ती मरीजों के लिए पड़ती है. इसे भी छोटे अस्पतालों में सप्लाई कर खपा दिया गया है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय

स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों और जानकारों से इस बारे में जानकारी ली गई तो पता चला कि कुछ जांच ऐसी होती है, जो केवल सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर करवाते हैं. प्रायमरी हेल्थ सेंटरों में प्रारंभिक जांच में किसी तरह की गड़बड़ी निकलने पर छोटे सेंटरों से मरीजों को सुपर स्पेशलिटी अंबेडकर अस्पताल रिफर किया जाता है. सुपर स्पेशलिटी या अंबेडकर अस्पताल में ही जांच के लिए उपकरण व मशीनें हैं.

जहाँ जरूरत नहीं वहाँ भी की सप्लाई

डाक्टर के जरूरत के हिसाब से पेट, हार्ट, लीवर, किडनी से संबंधित बड़ी जांच करवाते हैं. हैरानी की बात है कि छोटे हेल्थ सेंटरों में एमबीबीएस डाक्टर पदस्थ किए गए हैं. ये डॉक्टर ब्लड शुगर, हीमोग्लोबीन जैसी सामान्य जांच ही करवाते हैं. उसी में किसी तरह की गड़बड़ी सामने आने पर वे मरीजों को बड़े अस्पताल भेज देते हैं. ऐसे में छोटे सरकारी अस्पतालों में लीवर, किडनी जैसी बड़ी जांच की जरूरत ही नहीं पड़ती है.

कहाँ क्या भेजना था इसकी भी नहीं थी जानकारी

अमोनिया रीएजेंट भी बड़ी मात्रा में शहर और आउटर के हेल्थ सेंटरों में सप्लाई किया गया है. इस रीएजेंट से अमोनिया लेवल का टेस्ट किया जाता है. ये जांच भी सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर लिखते हैं, जो पीएससी में पदस्थ ही नहीं हैं. लैब में इसकी जांच करने वाला उपकरण भी उपलब्ध नहीं है. कार्डियेक मार्कर हार्ट अटैक की स्थिति में उपयोग होता है. इसकी जांच की सुविधा भी पीएससी में नहीं है. इसके बावजूद लाखों का कार्डियेक मार्कर रीएजेंट सप्लाई कर दिया गया है. इसी तरह पेट की जांच के लिए सीरम माइलेज भी बड़े पैमाने पर भेज दिया गया है

मशीन नहीं लेकिन भेज दिए कैमिकल

ब्लड थिकनेस यानी खून का थक्का जमना कोविड के दौरान ब्लड की थिकनेस की जांच के लिए टी टाइमर रीएजेंट का उपयोग किया जाता था. इससे ये पता चलता था कि खून थक्का तो नहीं बन रहा है. ये जांचने की सुविधा किसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नहीं है. यहां तक कि जरूरी उपकरण बायोकेमेस्ट्री एनालाइजर भी नहीं है, इसके बावजूद इसकी थोक में सप्लाई कर दी गई है. इसी तरह प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सप्लाई की गई, जिनमें से 350 से अधिक ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ऐसे हैं, जिसमें कोई तकनीकी, जनशक्ति और भंडारण सुविधा उपलब्ध ही नहीं थी.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular