खैरागढ़। दस सितंबर का दिन खैरागढ़ शहर के लिए भयानक प्राकृतिक आपदा वाला दिन था. भारी बारिश ने शहर के कई इलाक़ों में पानी भर जाने से आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ था. बाढ़ से सभी वर्ग प्रभावित हुए थे. प्रशासन ने प्रभावितों के लिए मुआवजे का एलान किया था, लेकिन जिला प्रशासन के पास फंड नहीं होने से महीनेभर बाद भी प्रभावित मुआवजे के लिए भटक रहे हैं. दस सितंबर को बारिश की वजह से इतवारी बाजार, तुरकारीपारा, अम्बेडकर वार्ड समेत ग्रामीण इलाक़ों के कांचरी, शेरगढ़, बफरा, मदौड़ा और बिडौरी के निवासी प्रभावित हुए थे. बाढ़ से कई व्यापारियों की दुकानें पूरी तरह से बर्बाद हो गई थीं, कई मकान ढह गए, और लोगों की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई थी.जिला प्रशासन, नगर पालिका,एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की चौकसी से किसी भी प्रकार की जनहानि तो नहीं हुई, लेकिन भारी जल भराव की वजह से जिला मुख्यालय लगभग 24 घंटें तक अन्य जिलों से कटा रहा, इसके साथ ही घरों समेत कई दुकानों को भी इस जल प्रलय ने पूरी तरह से तबाह कर दिया था.
जिले में होना चाहिए आपदा प्रबंधन कोष
विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन ने बताया कि दस सितंबर को आई भयंकर त्रासदी से प्रभावित लोगों को तत्काल मुआवजा दिया जाना चाहिए, इसलिए हमने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. लेकिन जिला कोष में पैसा नहीं है, जिसकी वजह से पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिल पा रहा है. खैरागढ़ को जिला बने दो वर्ष से भी अधिक समय हो गया है, जिले में आपदा प्रबंधन का कोष होना चाहिए.
आबंटन का किया जा रहा इंतजार
पूरे मामले को लेकर एसडीएम टंकेश्वर प्रसाद साहू ने बताया कि खैरागढ़ में अचानक आई बारिश के बाद ही तत्काल वहाँ सर्वे कराया गया था, और प्रकरण बना कर आबंटन के लिए शासन को भेजा गया है और आबंटन प्राप्त होते ही यथा शीघ्र इनको मुआवजे का भुगतान किया जाएगा.