Saturday, July 5, 2025
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धान बारिश में भीगकर हो रहा अंकुरित और जिम्मेदार अधिकारी दे रहे सिर्फ सफाई, धान खरीदी केंद्र में पड़ा धान सड़ रहा

भानुप्रतापपुर. छत्तीसगढ़ में 3100 रुपए के समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान पर संकट मंडरा रहा है. इन दिनों धान पानी में भीगकर अंकुरित हो रहा है और जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ सफाई दे रहे हैं. खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 की धान खरीदी को चार महीने गुजर चुके हैं. लेकिन अब तक धान खरीदी केंद्रों में रखे धानों का विपणन केंद्र के गोदामों में नहीं हो पाया. नतीजा धान खरीदी केंद्र में पड़ा धान सड़ रहा है. अंकुरित हो रहा है. कांकेर जिले के धान खरीदी केंद्रों में कांकेर जिले में लगभग 75 हज़ार क्विंटल धान जमीन पर पड़ा भीग रहा है. 

दरअसल, सरकारी नियम के अनुसार धान खरीदी केंद्रों से धान का उठाव 28 फरवरी तक हो ही जाना था. लेकिन अब हालात यह है कि धान खरीदी केंद्रों में पड़ी धान बारिश से अंकुरित हो गई है. भानुप्रतापपुर विकासखंड के केवटी धान खरीदी केंद्र में अंकुरित धान का उपयोग ग्रामीण थरहा के रूप में कर रहे हैं. लोग धान खरीदी केंद्र से उखाड़ कर अपने खेतों में रोपने के लिए ले जाने लगे हैं. सरकारी अफसर शाही का खामियाजा सरकार को किस तरह उठाना पड़ता है, उसका यह जीता जागता उदाहरण है.

केंद्र के प्रभारी को गिरफ्तारी का डर 

धान खरीदी केंद्र के प्रभारी योगेश सोनवानी का कहना है कि इस समस्या से लगातार फोन के माध्यम से अधिकारियों को अवगत कराया गया है. इसके साथ ही मिलर्स से भी सम्पर्क किया जा रहा है. लेकिन केवल उनके आने का आश्वान मिल रहा है. अभी भी फड़ में 11 हजार बोरा मौजूद है. पहले भी कई चुनोतियाँ रही है, इस बार किसी तरह हमने खरीदी शुरू की, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी धान का उठाव नहीं हुआ है. पिछले बार यहां काम करने वालों को जेल भेजा गया है, जिससे अब डर लगने लगा है कि कहीं उन्हें भी जेल नहीं भेज दिया जाए. 

मुख्यमंत्री से की जाएगी शिकायत, होगी कार्रवाई : सांसद भोज राज नाग

इस मामले पर भाजपा सांसद भोज राज नाग ने कहा कि हजारों क्विंटल धान खरीदी केंद्रों में पड़ा हुआ है, इसकी शिकायत मिली है. अधिकारियों से चर्चा कर निराकरण के निर्देश दिए हैं. निराकरण नहीं होने पर मुख्यमंत्री से शिकायत कर के ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. 

गौरतलब है कि केवटी धान खरीदी केंद्र में पिछले चार खरीदी सत्रों के दौरान कंप्यूटर ऑपरेटर को गबन के आरोप में जेल जाना पड़ा है. लेकिन असल दोष लापरवाह सरकारी व्यवस्था का है, जो समय पर धान का उठाव नहीं कर पाती. नतीजा यह होता है कि खराब हुई फसल की जिम्मेदारी छोटे कर्मचारियों पर डाल दी जाती है और उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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