Tuesday, July 8, 2025
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नौ दिन का विश्राम हुआ खत्म, मौसी के घर से लौटेंगे भगवान जगन्नाथ, श्रद्धालुओं में भारी उत्साह

रायपुर/पिथोरा. भगवान जगन्नाथ आज अपनी मौसी के घर से नौ दिनों के बाद वापसी करने जा रहे हैं. भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी देवी गुंडिचा के मंदिर में नौ दिनों का दिव्य विश्राम करने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने मूल निवास, श्रीमंदिर लौटेंगे. रायपुर और महासमुंद जिले में आज धूमधाम से बाहुड़ा रथ यात्रा निकाली जाएगी. सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. भगवान की दिव्य वापसी यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह देखने को मिल रहा है.  राजधानी रायपुर में दोपहर 3 बजे से दिव्य वापसी यात्रा की शुरुआत होगी. बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्ति और उल्लास के साथ शामिल होंगे. इस यात्रा में छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, भाजपा रायपुर जिला अध्यक्ष रमेश ठाकुर सहित अनेक गणमान्य अतिथिगण उपस्थित रहेंगे. जगन्नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष पुरंदर मिश्रा ने बताया कि “यह आयोजन श्रद्धालुओं की भावनाओं का प्रतिबिंब है और हर वर्ष इसे और भव्य स्वरूप देने का प्रयास समिति करती है. भगवान जगन्नाथ जी की कृपा से यह आयोजन पूरी भक्ति, व्यवस्था और समर्पण भाव से संपन्न होगा. 

राजधानी रायपुर के अलावा महासमुंद जिले के पिथौरा में भी वापसी यात्रा निकाली जाएगी. सुबह से श्रद्धालुओं का उत्साह नजर आ रहा है.  मंदिर परिसर में सुबह से ही भजन, कीर्तन और पूजा-पाठ का माहौल बना हुआ है. रथ गर्भगृह में पहुंचने के बाद भगवान श्रीजगन्नाथ चीर निद्रा में चले जाएंगे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वे अगले पांच महीनों तक योगनिद्रा में रहेंगे. इस अवधि में मांगलिक और संस्कृतिक कार्यों पर विराम लग जाता है. जब पांच महीने बाद भगवान की नींद टूटती है, तब तुलसी विवाह और शालिग्राम विवाह जैसे शुभ कार्य पुनः आरंभ होते हैं.

बाहुड़ा यात्रा क्या है?

‘बाहुड़ा’ शब्द ओड़िया भाषा का है, जिसका अर्थ होता है ‘वापसी’. इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी अपने भव्य रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर से वापस अपने मूल निवास श्रीमंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं. यह यात्रा भी रथ यात्रा की तरह ही भव्य और उत्साहपूर्ण होती है, अंतर केवल दिशा का होता है, यह यात्रा वापसी की होती है. भगवान बलभद्र का रथ ‘तालध्वज’, देवी सुभद्रा का रथ ‘दर्पदलन’ और भगवान जगन्नाथ का रथ ‘नंदीघोष’ पहले ही दक्षिण मोड़ ले चुके हैं और अब गुंडिचा मंदिर के नकाचना द्वार के पास खड़े हैं, वापसी यात्रा के आरंभ की प्रतीक्षा में. 

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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