Monday, September 15, 2025
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संपत्ति को लेकर छिड़े विवाद के मामले की सुनवाई दौरान हाईकोर्ट ने पुलिस कार्रवाई पर जताई सख्त नाराजगी, एफआईआर को किया रद्द

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने संपत्ति को लेकर छिड़े विवाद के मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस की कार्रवाई को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। संपत्ति विवाद में एक पक्ष ने थाने में शिकायत दर्ज करा दी। शिकायत के आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ट्रायल कोर्ट में आरोप पत्र भी पेश कर दिया। पीड़ित पक्ष ने पुलिस की इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि संपत्ति विवाद में पुलिस ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मानसिक रूप से प्रताड़ना देने का काम किया है। सिविल विवाद में एफआईआर दर्ज किए जाने को लेकर सवाल उठाया और एफआईआर को रद्द कर दिया है।

दरअसल, बिलासपुर के दयालबंद निवासी रामेश्वर जायसवाल व अन्य ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को चुनौती दी थी। याचिका में बताया गया, कि संपत्ति विवाद में शिकायत के आधार पर सिरगिट्टी ने 8 मार्च 2024 को एफआईआर दर्ज किया है। इसके बाद 22 जून 2024 को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के कोर्ट में चार्जशीट भी दायर कर दिया है। याचिकाकर्ता ने एफआईआर और निचली अदालत में पेश चार्जशीट को निरस्त करने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा, कि 27 फरवरी 2024 की शाम एक महिला दो लोगों के साथ उनके घर पहुंचीं और गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दी। बाद में उन्हीं का पक्ष लेते हुए एक व्यक्ति आया और हम लोगों को धमकाने लगा। याचिका के अनुसार थाने में शिकायत करने के पीछे संपत्ति के कागजात लौटाने के बदले 4.56 लाख रुपए की मांग कर रहा था। राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधकारी ने एफआईआर को सही ठहराया। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने कहा कि आपराधिक कानून का इस्तेमाल यहां अनुचित तरीके से दबाव बनाने के लिए किया गया। डिवीजन बेंच ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि सिविल विवाद को जबरन आपराधिक रंग देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। ऐसे मामलों में मजिस्ट्रेट को बेहद सतर्क रहना चाहिए। डिवीजन बेंच ने एफआईआर, आरोपपत्र और न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया, और कहा कि इस तरह के प्रयासों को शुरुआत में ही रोकना जरुरी है।

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
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