Thursday, December 26, 2024
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मक्का खरीदी में नेफेड की एंट्री से चमका बाजार, कारोबारी अब किसानों को एमएसपी दर से ऊपर दे रहे कीमत

गरियाबंद,। पहली बार मक्का उत्पादक किसानों को निजी कारोबारी शुरुआती दौर से एमएसपी दर 2225 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा कीमत का भुगतान कर रहे हैं. इसकी वजह नेफेड की एंट्री है. पहली बार प्रदेश में भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मक्का की खरीदी करने जा रही है. नेफेड के राज्य नोडल अफसर संजय सिंह ने बताया कि एमएसपी दर पर पैक्स के माध्यम से खरीदी करना था, लेकिन धान की खरीदी में सरकार इस उपक्रम को लगाई हुई है. ऐसे में अब एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) से खरीदी की जा रही है. गरियाबंद जिले में देवभोग, अमलीपदर, मैनपुर ने खरीदी की शुरुआत किया है. अब तक 12 टन मक्का की खरीदी किया जा चुका है. खरीदी समृद्धि पोर्टल के माध्यम से होता है, केंद्र से पैसे का सीधा भुगतान इसी पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत विक्रेता किसान को किया जाता है.

कारोबारियों का तय सेटअप, इसलिए खरीदी बनी चुनौती

एफपीओ हीरामा के मैनेजिंग डायरेक्टर संतोष पांडेय बताते हैं कि लंबे समय से मक्के के कारोबार में स्थानीय कारोबारियों का अपना तय सेटअप जमाया हुआ है. ऐसे में पहली बार में किसानों के बीच सरकारी खरीदी को लेकर विश्वास जमाना किसी चुनौती से कम नहीं है. पिछले दो माह से लगातार इस जिले के फील्ड में मक्का की मिस्ट्री समझने में लगे संतोष पांडेय बताते है कि किसान मक्का की बोनी के समय से ही खाद बीज के लिए स्थानीय कारोबारियों से संपर्क कर उनसे मदद लेते हैं फिर विक्रय का करार कर लेते हैं. विक्रय की घर पहुंच सेवा, क्वालिटी कंट्रोल से मुक्त बिक्री,और सीधे केस भुगतान जैसे सहूलियत के कारण निजी कारोबारी की ओर रुझान बना हुआ है.

वाजीब दाम मिलना शुरू हुआ किसानो को

संजय ने दावा किया कि उपज से पहले करार के कारण कई बार कृषकों को बेहद कम कीमत मिलता था. लेकिन इस साल नेफेड के चलते शुरू से ही किसानों को एमएसपी से ज्यादा दर मिल रहा है. हमरा उद्देश्य कृषकों को उनके उपज का वास्तविक कीमत दिलाना है, खरीदी का लक्ष्य भले पूरा न हो पर वास्तविक कीमत दिलाने का हमने लक्ष्य हासिल कर लिया है.

मक्का से एथेनॉल बना रहे

भारत सरकार ने साल भर पहले ही मक्का से एथेनॉल बना कर विदेश निर्भरता कम करने का लक्ष्य बनाया हुआ है. इससे पहले तक पशुदाना, कॉर्न के अलावा विदेशों तक मक्का की सप्लाई थी.क्षेत्र का मक्का आंध्र पोर्ट के सहारे बंगला देश,म्यांमार, मलेशिया जैसे उन्नत देशों में जा रहा था. पर इस बार निजी कारोबारी भी उपज को ओडिसा और आंध्र के एथेनॉल कंपनी को मक्का बेच रहे है. नेफेड भी खरीदी के बाद करार किए गए कंपनी को मक्का बेच किसानों को अन्ना दाता से ऊर्जा दाता बनाने का लक्ष्य लेकर काम कर रही है.

मांग बढ़ी तो कीमत ऊंची खुली

इस बार मक्का का कीमत शुरू से हाई रहा है. 6 माह पहले तक इसकी कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 3300 रुपए प्रति क्विंटल थी, उत्पादन बढ़ा तो अब पोर्ट डीलवरी 2500 रुपये प्रति क्विंटल है. लिहाजा निजी कारोबारी इस बार 2300 रुपये प्रति क्विंटल दर देकर किसान से मक्का की खरीदी कर रह रहे. अन्य सालों में स्थानीय कीमत महज 1700 से खुलकर अधिकतम 2 हजार तक होती थी.

धान में बोनस के बाद घटा रकबा

जिले में अधिकतम 22 से 25 हजार हेक्टेयर में मक्का का फसल लिया जाता था, पिछले तीन साल में रकबा घट कर 15 हजार हेक्टेयर पहुंच गया था. सरकार धान में 3100 देने के कारण किसानों का रुझान धान की ओर बढ़ा हुआ है.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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