Friday, November 22, 2024
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RSS की बैठक कल से, राष्ट्रीय हित और जातिवादी राजनीति का तोड़ निकालेगा संघ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की 3 दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक 31 अगस्त से 2 सितंबर तक केरल के पालक्कड़ में आयोजित की जा रही है . अगले साल संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं . भारतीय जनता पार्टी (BJP) समेत संघ से जुड़े अन्य संगठनों के साथ परस्पर सहयोग और समन्वय को और मजबूत बनाने के उपायों और अन्य मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है.

इस सम्मेलन में RSS की ओर से प्रमुख मोहन भागवत, महासचिव दत्तात्रेय होसबले, सभी 6 संयुक्त महासचिव और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी भाग लेंगे, जबकि BJP की टीम में पार्टी प्रमुख जे पी नड्डा, महासचिव बी एल संतोष और संयुक्त महासचिव शिव प्रकाश समेत अन्य लोगों के शामिल होने की उम्मीद है.

कास्ट पॉलिटिक्स की तोड़ निकालेगा संघ

अब RSS भी अपनी पहुंच को बढ़ाने के लिए विभिन्न स्वतंत्र हिंदू संगठनों और दबाव समूहों के साथ मजबूत संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है. विहिप को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और झुग्गी बस्तियों की आबादी के बीच सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने का काम सौंपा गया है, खासकर दिवाली से पहले.

सामाजिक समरसता अभियान आमतौर पर RSS शाखा स्तर के कार्यकर्ताओं के द्वारा दलितों के लिए मंदिरों और कुओं तक पहुंच सुनिश्चित करने से जुड़ा होता है. सामुदायिक भोज भी आम होते हैं, जहां RSS कार्यकर्ता दलित समुदाय के लोगों के साथ बैठकर भोजन साझा करते हैं.

दलितों और पिछड़ों के साथ भोज से ही अब काम नहीं चलने वाला है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार जातिगत जनगणना की बात कर रहे है्ं. राहुल गांधी लगातार कह रहे हैं कि दलितों और पिछड़ों को कितनी भागीदारी मिल रही है. जनता इस बात को जानती है कि 2004 से 2014 तक केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार रही और दलितों और पिछड़ों की हिस्सेदारी और जाति जनगणना के लिए कुछ नहीं हुआ. फिर भी राहुल गांधी की बातें लोगों को लुभा रही हैं. शायद यही कारण है कि अभी हाल ही में रेलवे बोर्ड का चेयरमैन एक दलित अफसर को नियुक्त किया गया है.

आमतौर पर RSS ने भी आरक्षण को लेकर अपने विचारों को लचीला बनाया है. संघ प्रमुख मोहन भागवत के पिछले कई बयान इसके गवाह हैं पर अब भी RSS की छवि आम लोगों में आरक्षण विरोधी के रूप में दर्ज है. संघ और BJP को यह भी सोचना होगा कि इस छवि से कैसे छुटकारा पाया जाए.

RSS अब बढ़ी भूमिका चाहता है

वर्तमान में, भाजपा केंद्रीय नेतृत्व अपने वैचारिक अभिभावक संगठन के साथ संबंधों में सुधार कर रहा है.लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर भारत के राज्यों में ताबड़तोड़ बैठकें कर रहा है. उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश तक संघ की समन्वय बैठकें संपन्न हुई हैं. कुछ दिन पहले ही संघ प्रमुख मोहन भागवत की यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बंद दरवाजे के पीछे मुलाकात हुई थी. उसके बाद भी जब यूपी में संगठन बनाम सरकार विवाद के नाम पर विवाद बढ़ा तो कई राउंड की बैठकें संघ के साथ सरकार और संगठन की हुईं हैं.

आगामी दिनों में होने वाले विधानसभा चुनावों में संघ महत्वपूर्ण भूमिका चाहता है. शायद यही कारण है कि हरियाणा में लगातार समन्वय बैठकें हुईं हैं. टिकट वितरण से लेकर चुनाव अभियान और दूसरे दलों से आने वाले लोगों , राजनेताओं के संबंधियों को टिकट देने आदि के मुद्दे पर लगातार संघ के नेताओं से परामर्श लिया जा रहा है.

इस बैठक को अहम माना जा रहा है क्योंकि यह बैठक लोकसभा चुनावों के बाद हो रही है, जिसमें BJP का प्रदर्शन कमजोर रहा था. ये इसलिए भी अहम है क्योंकि इस बैठक के बाद हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा के चुनाव होने हैं. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है. जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को 3 चरणों में, जबकि हरियाणा में 1 अक्टूबर को मतदान होगा. नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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