Thursday, August 7, 2025
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ट्रेड डील टली, सवाल खड़े: भारत और अमेरिका के बीच 25% टैरिफ की असली वजह क्या थी?

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की बातचीत रुक गई है। ऐसा क्यों हुआ, इसके पीछे कई कारण हैं। पहले तो दोनों देशों के अधिकारी एक समझौते को लेकर बहुत आशावादी थे। भारत के अधिकारियों को लग रहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद इस समझौते की घोषणा करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

अब स्थिति यह है कि अमेरिका ने भारत से आने वाले सामान पर 25% टैक्स लगा दिया है। इसके साथ ही, रूस से तेल खरीदने पर भी कुछ पाबंदियां लगाई जा सकती हैं। वहीं, ट्रंप ने जापान और यूरोपीय संघ (EU) के साथ बड़े समझौते कर लिए हैं। उन्होंने पाकिस्तान को भी बेहतर शर्तों की पेशकश की है।

क्यों टूटा समझौता?

रॉयटर्स के मुताबिक इस मामले पर कुछ सरकारी अधिकारियों से बात की गई। उनसे पता चला कि समझौते में क्या बातें थीं और यह क्यों टूट गया। अधिकारियों ने बताया कि राजनीतिक गलतियों, गलत संकेतों और कड़वाहट के कारण यह समझौता नहीं हो पाया। भारत और अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। दोनों देशों के बीच 190 अरब डॉलर से ज्यादा का व्यापार होता है।भारत को लग रहा था कि व्यापार मंत्री पीयूष गोयल के अमेरिकी दौरे और अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे. डी. वेंस के दिल्ली दौरे के बाद सब ठीक हो जाएगा। भारत ने समझौते को पूरा करने के लिए कई रियायतें भी दी थीं।

भारत ने अमेरिका से आने वाले औद्योगिक सामानों पर टैक्स हटाने का प्रस्ताव दिया था। ये सामान अमेरिका के निर्यात का 40% हिस्सा हैं। भारत, अमेरिका से कारों और शराब पर भी टैक्स कम करने को तैयार था। इसके साथ ही, भारत अमेरिका से ज्यादा ऊर्जा और रक्षा सामान खरीदने के लिए भी तैयार था। यह वाशिंगटन की मुख्य मांग थी।

दूर हो गए थे ज्यादातर मतभेद

एक अधिकारी ने बताया कि पांचवें दौर की बातचीत के बाद ज्यादातर मतभेद दूर हो गए थे। इससे समझौते की उम्मीद बढ़ गई थी। भारत को लग रहा था कि अमेरिका डेयरी उत्पादों पर उसकी बात मान लेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ट्रंप को और ज्यादा रियायतें चाहिए थीं।

व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा, ‘भारत के साथ बातचीत में कई मुद्दों पर प्रगति हुई, लेकिन हमें कभी भी ऐसा नहीं लगा कि कोई अच्छा समझौता हो रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘हमें कभी भी वह समझौता नहीं मिला जिसकी हम तलाश कर रहे थे।’

कृषि और डेयरी मामले में भारत का कड़ा रुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी में वाशिंगटन का दौरा किया था। उन्होंने साल 2025 तक एक समझौता करने और साल 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा था।

ट्रंप ने एक बड़े समझौते की बात की थी। भारत ने इसे समझा कि एक अच्छा समझौता होने वाला है। इसके बाद, भारत ने अपना रुख कड़ा कर लिया, खासकर कृषि और डेयरी के मामले में। ये दोनों क्षेत्र भारत सरकार के लिए बहुत संवेदनशील हैं।

पाकिस्तान के कारण भी बढ़ा तनाव

भारतीय अधिकारियों के मुताबिक ट्रंप ने बार-बार भारत-पाकिस्तान संघर्ष में मध्यस्थता करने की बात की। इससे बातचीत में तनाव बढ़ गया और पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्रंप को कॉल नहीं किया।

एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान पर ट्रंप की टिप्पणियां अच्छी नहीं लगीं। उन्होंने कहा, ‘आदर्श रूप से भारत को अमेरिका की भूमिका को स्वीकार करना चाहिए था, लेकिन यह स्पष्ट करना चाहिए था कि अंतिम फैसला हमारा होगा।’

एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने इस विफलता के लिए खराब फैसले को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा, ‘शीर्ष भारतीय सलाहकारों ने प्रक्रिया को ठीक से नहीं संभाला। अधिकारी ने कहा कि अमेरिका ने वियतनाम, इंडोनेशिया, जापान और ईयू के साथ बेहतर समझौते किए। इसके बाद, हमारे पास जरूरी राजनयिक समर्थन नहीं था।’

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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