Friday, July 18, 2025
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हाई कोर्ट ने घरेलू हिंसा कानून पर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया अब दूसरी शादी में भी पत्नी को मिलेगा भरण-पोषण

दिल्ली : हाई कोर्ट ने घरेलू हिंसा कानून पर एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि पत्नी के भरण-पोषण के अधिकारों में पहली या दूसरी शादी के मामले में कोई भेदभाव नहीं है. जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की बेंच ने यह भी कहा कि यदि कोई पुरुष अपनी इच्छा से विवाह करता है और अपनी पत्नी को पहले विवाह से उत्पन्न बच्चों के साथ स्वीकार करता है, तो वह अपने कर्तव्यों से बच नहीं सकता.

कोर्ट का यह निर्णय एक याचिका पर आधारित है, जिसमें एक व्यक्ति ने अपनी अलग रह रही पत्नी को भरण-पोषण देने से इनकार किया. उसने तर्क दिया कि यह उसकी दूसरी शादी है और पत्नी के बच्चे उसके नहीं, बल्कि उसके पहले पति के हैं.

निचली अदालत का फैसला बरकरार

अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान पति द्वारा भरण-पोषण से इंकार करने के तर्क को पूरी तरह से गलत ठहराया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि घरेलू हिंसा अधिनियम पहली या दूसरी शादी में भेद नहीं करता. यदि पति ने अपनी मर्जी से विवाह किया है और पत्नी तथा बच्चों को अपनाया है, तो वह अब इस जिम्मेदारी से नहीं बच सकता.

कोर्ट ने निचली अदालत के निर्णय को बरकरार रखते हुए पति को पत्नी को हर महीने 1 लाख रुपये भरण-पोषण देने का आदेश दिया. हालांकि, अदालत ने यह भी माना कि पत्नी के दो बालिग बेटों को भरण-पोषण देने से इनकार करने का फैसला उचित है.

पत्नी ने हाई कोर्ट में लगाया पति पर आरोप

दिल्ली हाई कोर्ट में एक महिला ने बताया कि वह अपने मायके में रह रही है और उसके पति ने उसे मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और भावनात्मक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा है. महिला के अनुसार, शादी से पहले उसके पति ने वादा किया था कि वह न केवल उसे, बल्कि उसके बच्चों को भी अपनाएगा और उन्हें पिता का प्यार देगा.पति ने कोर्ट में यह दावा किया कि पत्नी ने अपनी इच्छा से घर छोड़ दिया और सुलह की कोई कोशिश नहीं की. उसने यह भी बताया कि वह एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस नामक गंभीर बीमारी से ग्रसित है, जिससे वह अपनी देखभाल नहीं कर सकता. हालांकि, कोर्ट ने पत्नी की इस शिकायत को गंभीरता से लिया कि पति ने मुकदमे के दौरान अपनी संपत्ति बेचने का प्रयास किया, ताकि वह किसी भी कानूनी दावे से बच सके.

दिल्ली हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट ने पति को अपनी अचल संपत्तियों को बिना अनुमति बेचने से रोकने का सही निर्णय लिया. जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने कहा कि पति की इस कार्रवाई से पत्नी की चिंताएं और भी बढ़ जाती हैं, जिससे पति की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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