महान योद्धा जनरैल हरिसिंह नलवा जिन्होंने कश्मीर में खालसा राज स्थापित किया उनकी पुण्य तिथि पर कोट कोट प्रणाम महान योद्धा,एवम महाराजा रणजीत सिंह की सेना के सेनाध्यक्ष सरदार हरि सिंह नलवा जिन्होंने कश्मीर पर खालसा राज का झंडा फहराया (ਹਰੀ ਸਿੱਘ ਨਲੂਆ) (1791 – 1837), नलवा महाराजा रणजीत सिंह के सेनाध्यक्ष थे जिन्होने पठानों के विरुद्ध किये गये कई युद्धों का नेतृत्व किया। रणनीति और रणकौशल की दृष्टि से हरि सिंह नलवा की तुलना भारत के श्रेष्ठ सेनानायकों से की जा सकती है। उन्होने कसूर, सियालकोट, अटक, मुल्तान, कश्मीर, पेशावर और जमरूद की जीत के पीछे हरि सिंह का नायकत्व था। उन्होने सिख साम्राज्य की सीमा को सिन्धु नदी के परे ले जाकर खैबर दर्रे के मुहाने तक पहुँचा दिया। हरि सिंह की मृत्यु के समय सिख साम्राज्य की पश्चिमी सीमा जमरुद तक पहुंच चुकी थी।
सरदार हरि सिंह नलवा
सरदार हरि सिंह नलवा का जीवन —
नाम
हरि सिंह नलवा
उपनाम
बाघ मार
जन्म
१७९१
गुजरांवाला, जाट सिख साम्राज्य
देहांत
१८३७
जमरूद, जाट सिख साम्राज्य
निष्ठा
सिख साम्राज्य.
सेवा/शाखा
सिख खालसा सेना
सेवा वर्ष
1804–1837
उपाधि
सिख खालसा सेना के जनरल (जरनैल)
अफगान फ्रंटियर के साथ कमांडर-इन-चीफ (1825–1837)
नेतृत्व
कश्मीर के गवर्नर (दीवान) (1820–1)
हाज़रा के गवर्नर (दीवान) (1822–1837)
पेशावर के गवर्नर (दीवान) (1834-5, 1836–7)[]
युद्ध/झड़पें
कसूर की युद्ध(1807),
अटॉक की युद्ध (1813),
मुल्तान की युद्ध (1818),
शोपियां की युद्ध (1819),
मंगल की युद्ध (1821),
मनखेरा की युद्ध (1821),
नौशेरा की युद्ध (1823),
युद्ध सिरीकोट (1824),
सायद की युद्ध (1827),
पेशावर की युद्ध (1834)
जमरूद की युद्ध (1837)
सम्मान
इजाज़ी-ए-सरदारी
सम्बंध
गुरुदयाल सिंह (पिता)
धर्म कौर (माँ)
हरि सिंह नलवा ने कश्मीर पर विजय प्राप्त कर अपना लोहा मनवाया। यही नहीं, काबुल पर भी सेना चढ़ाकर जीत दर्ज की। खैबर दर्रे से होने वाले अफगान आक्रमणों से देश को मुक्त किया। इतिहास में पहली बार हुआ था कि पेशावरी पश्तून, पंजाबियों द्वारा शासित थे।
हरि सिंह नलवा कश्मीर, पेशावर और हजारा के प्रशासक (गवर्नर) थे। सिख साम्राज्य की तरफ से उन्होने एक मुद्रालय (mint) स्थापित किया था ताकि कश्मीर और पेशावर में राजस्व इकट्ठा किया जा सके।
महाराजा रणजीत सिंह के निर्देश के अनुसार हरि सिंह नलवा ने सिख साम्राज्य की भौगोलिक सीमाओं को पंजाब से लेकर काबुल बादशाहत के बीचोंबीच तक विस्तार किया था। महाराजा रणजीत सिंह के सिख शासन के दौरान 1807 ई. से लेकर 1837 ई. तक हरि सिंह नलवा लगातार अफगानों के खिलाफ लड़े। अफगानों के खिलाफ जटिल लड़ाई जीतकर नलवा ने कसूर, मुल्तान, कश्मीर और पेशावर में सिख शासन की व्यवस्था की थी।
सर हेनरी ग्रिफिन ने हरि सिंह को “खालसाजी का चैंपियन” कहा है।