Monday, September 15, 2025
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सुपेबेड़ा के किडनी मरीजों के नाम पर स्वास्थ्य विभाग में घोटाला: बिना टेंडर लगाए एंबुलेंस सेवा को दिए 10 लाख रुपये

 गरियाबंद। सुपेबेड़ा के किडनी पीड़ितों को एक तरफ जान के लाले पड़े हुए हैं, पीड़ितों के परिवार वाले परेशान बेहाल हैं, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इन किडनी पीड़ितों के नाम पर चांदी काट रहे हैं. ताजा मामला एंबुलेंस सेवा से जुड़ा है, जिसमें बगैर निविदा के एंबुलेंस लगाकर 10 लाख रुपए का भुगतान भी कर दिया. नए सीएमएचओ के नियुक्ति के बाद हुए इस भंड़ाफोड़ से पूरी व्यवस्था की पोल खुल गई है. सुपेबेड़ा में किडनी रोगियों के मदद के लिए स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने हरि झंडी दिखाकर जिस एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की थी, वह काफी खर्चीला साबित हुआ. रायपुर की जिस ट्रेवल्स कंपनी ने एंबुलेंस लगाया था, उसे सालभर बाद इसलिए बंद कर दिया गया, क्योंकि इतने महंगे एंबुलेंस संचालन के लिए विभाग के पास कोई बजट नहीं था.

जानकार बताते हैं कि एंबुलेंस के लिए किसी प्रकार से अनुबंध नहीं किया गया था. बगैर रेट कोट किए ही सिंगल फर्म को मुंहमांगी कीमत पर वाहन लगाने की अनुमति दी गई थी. भुगतान के लिए जो बिल बनाया गया है, उसके मुताबिक प्रति माह 2000 किमी अधिकतम चलने पर 1.05 लाख दर तय किया गया, जो 52.5 रुपए प्रति किमी होता है. 2000 किमी से दूरी चलने अतिरिक्त भुगतान करने का प्रावधान रखा गया. इस संबंध में रायपुर के ही एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराने वाले अन्य फर्मों का कहना है कि बोलरो एंबुलेंस का अधिकतम 55 हजार रुपए किराया है. इसके अलावा अगर कंपनी ने ड्राइवर दिया तो उसका भुगतान अतिरिक्त जोड़कर अधिकतम 65 हजार मासिक किराए पर उपलब्ध हो जाएगा. वहीं गरियाबंद जिले में अब तक एक बोलरों वाहन का अधिकतम 45 हजार रुपए तय है. ऐसे में रायपुर के फर्म से ढाई गुना ज्यादा कीमत पर सेवा लेना समझ से परे है.

भुगतान की गारंटी के लिए किया करार

पूर्व सीएमएचओ के कार्यकाल में एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराने वाले फर्म ने विभाग से भुगतान की गारंटी के लिए स्टॉम्प पेपर में करार किया था. सुपेबेड़ा एंबुलेंस के अलावा एक और वाहन इसी फर्म ने सीएमएचओ दफ्तर में लगा रखा था. नए सीएमएचओ यूके नवरत्न को इसकी भनक लगी तो इन वाहनों पर ब्रेक लगाकर आर्थिक क्षति पर रोक लगा दी.

नियम विरुद्ध भुगतान भी हो गया

केंद्रीय स्वास्थ्य मद के उपयोग के स्पष्ट गाइड लाइन तय है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में आने वाले बजट में खर्च और योजना भी निर्धारित है. सूत्र बताते हैं कि रायपुर के फर्म ने 13 माह के एंबुलेंस सेवा के एवज में 15 लाख से ज्यादा का दावा किया है. अब तक उसे एनएचएम मद से 10 लाख से ज्यादा का भुगतान भी कर दिया गया है. वाहन भुगतान की फाइलों में पूर्व सीएमएचओ ने बजट की प्रत्याशा में भुगतान का हवाला दिया है, जबकि नए सीएमएचओ यूके नवरत्न ने बगैर अनुबंध के चलाए गए महंगे एंबुलेंस का भुगतान करने से हाथ खड़ा कर दिया है.

2 लाख किमी चल चुकी एंबुलेंस देगी सेवा

जिले में पांच नए एम्बुलेंस आए. दो एंबुलेंस जिला प्रशासन ने खरीदे, पर सुपेबेड़ा खटारा एंबुलेंस भेजा गया. महंगी और खर्चीली साबित हुई एंबुलेंस के बदले भेजी गई सरकारी मिनी एंबुलेंस 2 लाख किमी चल चुकी है. स्टेपनी तक नहीं है. ऐसे में इमरजेंसी में लंबी दूरी तय करने चालक भी घबरा रहे हैं.

सीएमएचओ ने सवालों से काटी कन्नी

गरियाबंद सीएमएचओ यूके नवरत्न ने नए एम्बुलेंस रिप्लेस करने की पुष्टि किया है, पर वे स्वास्थ्य मंत्री द्वारा हरि झंडी दिखाए गए एंबुलेंस के लगाने की प्रकिया और भुगतान की जानकारी के सवाल पर कन्नी काट गए, और कहने लगे कि डीपीएम बाहर हैं, उनके पास ही इसकी जानकारी है, आते ही सब कुछ बता देंगे. 

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://ppnews.in
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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