साहित्य साधक थे पद्मश्री पंडित मुकुटधर पाण्डेय, 30 सितंबर को जन्म जयंती पर चंद्रपुर की मुकुटधर सेवा समिति ने किया उन्हें स्मरण

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पद्मश्री मुकुटधर पांडे ने अपने साहित्यों के माध्यम से जगाई राष्ट्र भावना की अलख- अजीत पांडेय चंद्रपुर

कन्हैया गोयल

चंद्रपुर शहर की मुकुटधर सेवा समिति ने कोरोनाकाल के दौरान किए विभिन्न रचनात्मक एवं सेवा के कार्य

सक्ति-30 सितम्बर 1895 को जन्मे छायावाद के प्रवर्तक प्रपितामह पद्मश्री पंडित मुकुटधर पाण्डेय जी को कोटि कोटि प्रणाम,उनके स्नेह, आशीष, से परिवार समाज पोषित, पल्लवित होता रहे,श्री जयशंकर प्रसाद जैसे कवियों ने भी उन्हें छायावाद का जनक माना, अपने जीवन काल मे ग्रामीण परिवेश से निकलते हुए माँ सरस्वती के आशीष से सन् १९०९ में १४ वर्ष की उम्र में उनकी पहली कविता आगरा से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘स्वदेश बांधव’ में प्रकाशित हुई एवं सन् १९१९ में उनका पहला कविता संग्रह ‘पूजा के फूल’ प्रकाशित हुआ,देश की सभी प्रमुख पत्रिकाओं में लगातार लिखते हुए मुकुटधर पाण्डेय ने हिन्दी पद्य के साथ-साथ हिन्दी गद्य के विकास में भी अपना अहम योग दिया,पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित अनेक लेखों व कविताओं के साथ ही उनकी पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित कृतियाँ इस प्रकार हैं – ‘पूजाफूल (१९१६), शैलबाला (१९१६), लच्छमा (अनूदित उपन्यास, १९१७), परिश्रम (निबंध, १९१७), हृदयदान (१९१८), मामा (१९१८), छायावाद और अन्य निबंध (१९८३), स्मृतिपुंज (१९८३), विश्वबोध (१९८४), छायावाद और श्रेष्ठ निबंध (१९८४), मेघदूत (छत्तीसगढ़ी अनुवाद, १९८४) आदि प्रमुख हैं,


स्वर्गीय मुकुटधर पाण्डेय स्मृति सेवा समिति चंद्रपुर एवं अजीत पाण्डेय ने उनकी 30 सितंबर को जन्म जयंती के अवसर पर उन्हें स्मरण करते हुए कहा है कि आज उनके आदर्शों को हम सभी जीवन में आत्मसात करते हुए आगे बढ़ रहे हैं, तथा उन्होंने जो अच्छी बातें अपने साहित्य के माध्यम से बताएं आज उसे पूरा विश्व अनुसरण कर रहा है, उल्लेखित हो कि मुकुटधर पांडे सेवा समिति चंद्रपुर द्वारा मार्च 2020 के बाद से निरंतर चल रहे कोरोनाकाल के दौरान चंद्रपूर शहर में जहां दीन दुखियों एवं जरूरतमंदों की सेवा के कार्य किए गए तो वही इस समिति द्वारा अपने रचनात्मक कार्यों के माध्यम से पूरे जांजगीर-चांपा जिले में इसका एक सकारात्मक संदेश भी दिया गया है, तथा इस समिति के सभी ऊर्जावान पदाधिकारी, सदस्य एवं युवा साथी पूरी सक्रियता के साथ समिति के कार्यों को गति देते हैं, एवं मुकुटधर पांडे जी को भी उनकी जन्म जयंती पर पूरे शहर वासी स्मरण कर रहे हैं

छत्तीसगढ़ के हीरे थे-
पद्मश्री मुकुटधर पांडे

उनका जन्म छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले के एक छोटे से गाँव बालपुर में ३० सितम्बर सन् १८९५ ई० को हुआ, वे अपने आठ भाईयों में सबसे छोटे थे, इनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई,इनके पिता पं.चिंतामणी पाण्डेय संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे और भाइयों में पं० लोचन प्रसाद पाण्डेय जैसे हिन्दी के ख्यात साहित्यकार थे, बाल्‍यकाल में ही पिता की मृत्यु हो जाने पर बालक मुकुटधर पाण्डेय के मन में गहरा प्रभाव पड़ा किन्तु वे अपनी सृजनशीलता से विमुख नहीं हुए,उनका निधन ६ नवम्बर १९८९ को हुआ,छत्तीसगढ़ अंचल से पद्मश्री की उपाधि से अलंकृत होने वाले प्रथम व्यक्ति हैं,
1976 में उन्हें पद्मश्री दिया गया,
उन्होंने छत्तीसगढ़ी / हिंदी में अनेक रचनाएं की,साहित्य जगत में उनका विशेष योगदान है,

मुकुटधर तोहर नाव है भारी,
तुम साहित्य देवता
आव जी
हमन तूहर पुजारी

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