श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कर्नाटक के मैसूर शहर की प्रसिद्ध रचनाकार श्रीमत्ती उषा केडिया की सुंदर रचना

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कन्हैया गोयल

सक्ति–पूरे देशभर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर जहाँ उत्साह का माहौल है किंतु इस वर्ष कोरोना काल ने इसके उत्साह को फीका कर दिया है,किंतु इसके बावजूद देश के प्रतिष्ठित रचनाकार इस पर्व के महत्व को अपनी रचनाओं के माध्यम से वर्णित कर रहे है

माखन मिश्री दही खाय गयो रे,
गोकुल में ऊधम मचाय गयो रे,

बाँसुरी की धुन पर सब को नचाय गयो रे,
प्रेम रस से रास रचाय गयो रे,

कंकरिया मार मटकी फोड़ गयो रे,
ब्रज की छोरीन को छेड़ गयो रे,

वस्त्र छिनी पेड़ पर चढ़ गयो रे,
गोपीयन को देखो कैसो सताय गयो रे,

मनीहारी बन राधा को चूड़ियाँ पहनाय गयो रे,
भेष बदल सबको चकमों देय गयो रे,

मटकी फोड़ गली गली में धूम मचाय गयो रे
बरसाने कि लट्ठ मार होरी में पिट गयो रे,

पूतना को बंध करो शेषनाग पर चढ़ गयो रे,
ऊँगली पर गिरिधर उठा सबको बचाय गयो रे

कंस को बद्ध कर द्वारिका धिष बन गयो रे,
मात्र पित्र को बंधन से मुक्त कराय गयो रे,

दुर्योधन को मेवा मिश्री छोड़ गयो रे
साग विधुर घर खाय गयो रे,

द्रोपती की लाज बचाने आय गयो रे,
भाई को धर्म निभाय गयो रे,

रुक्मणी को हरण कर पटरानी बनाय लियो रे
सखा बन अर्जुन को रथ थाम लीयो रे,

गीता को ज्ञान दे ,अपनो रूप दिखाय गयो रे
महाभारत में सुदर्शन चक्र चलाय गयो रे,

यशोदा को लालों नंद दुलारो आय गयो रे,
प्रेम भक्ति को भाव बरसाय गयो रे।

रचनाकार श्रीमत्ती उषा केडिया मैसूर शहर के क्रिएटिविटी कैफे की डायरेक्टर,समाजसेविका एवम अंतराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन की अग्रज्योति मासिक पत्रिका की संपादिका भी है

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