अपना ज्ञान ही सबसे बड़ी पूंजी, जो आती है शिक्षा प्रशिक्षण से-झुनमुन गुप्ता अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह के दूसरे दिन रजोली में हुआ सहकारी कार्यक्रम
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बालोद। अपना ज्ञान ही सबसे बड़ी पूंजी है और यह हासिल होती है शिक्षा, प्रशिक्षण व अध्ययन से। इसीलिए छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी संघ प्रदेश के सभी सहकारीजन के शिक्षा-प्रशिक्षण की योजना बना रहा है। प्रथम चरण में प्रदेश सभी 1333 कृषि सेवा सहकारी समितियों के संचालक मंडल व कर्मचारियों के प्रशिक्षण की योजना बनाई जा रही है। जिसमें 18 हजार से अधिक सहकारीजन को उनके क्षेत्र में जा कर प्रशिक्षित किया जाएगा। राज्य सहकारी संघ अध्यक्ष झुनमुन गुप्ता ने यह उद्गार बालोद जिला सहकारी संघ व राज्य सहकारी संघ के संयुह्न तत्वाधान में आयोजित संगोष्ठी में व्यह्न किया।
यह संगोष्ठी अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह सहकारी सप्ताह के द्वितीय दिवस हाथकरघा व कृषि कार्य से जुड़े लोगों के लिए सेवा सहकारी समिति रजोली में आयोजित की गई। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ नई दिल्ली के निर्देश पर 14 से 20 नवम्बर तक आयोजित हो रहे 66 वें सहकारी सप्ताह में द्वितीय दिवस के इस आयोजन का विषय ”सहकारिता के लिए विधान को सक्षम करना था।
बलोद की उर्वरा मिट्टी का कमाल ही है कि यहां से निकल कर कोई राज्य की सहकारिता का नेतृत्व कर रहा है – रविन्द्र भाटिया
संगोष्ठी में उपस्थित लोगों को बधाई देते हुए छग राज्य सहकारी संघ के उपाध्यक्ष रविन्द्र भाटिया ने कहा कि बालोद जिले का गठन काफी बाद में हुआ है और बालोद जिला सहकारी संघ बने भी मात्र चार वर्ष हुए हैं। परन्तु यहां की उर्वरा मिट्टी का कमाल है कि प्रदेश में एक से बढ़ कर एक अनुभवी लोगों के रहने के बावजूद यहां के सहकारी नेतृत्व को राज्य स्तर की सहकारिता का नेतृत्व करने का अवसर मिला। राष्ट्रीय सहकारी संघ द्वारा घोषित आज के विषय सहकारिता के लिए विधान को सक्षम बनाना के विषय में उन्होने कहा कि आज का विषय बड़ा व्यापक मायने रखता है। विधान की वास्तविकता यह है कि एक परिवार भी विधान के साथ चलता है। घर के बड़े बुजुर्ग से लेकर छोटा बच्चा भी परिवार के अलिखित विधान के अनुसार चलता है। परिवार में भी सबकि जिम्मेदारियां फिक्स होती हैं। इसी प्रकार परिवार मोहल्ला, गांव, शहर, प्रदेश, देश, सभी विधान के अनुसार ही चलते हैं। इसीलिए हमें अपने सहकारी विधान को भी मजबूत रखना चाहिए। उन्होने सहकारिता की अन्य बारीकियों पर चर्चा किया।