कर्ज वसूली में सरकारी बैंकों से आगे हैं जिलों के सहकारी बैंक, राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति ने जारी किए आंकड़े

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भोपाल :- ग्रामीण और कस्बों में काम करने वाले जिला सहकारी बैंक कर्ज की वसूली में कई राष्ट्रीयकृत बैंकों से आगे हैं। इनकी ज्यादातर शाखाएं बड़े शहरों में हैं। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) के ताजा आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में काम कर रहीं ज्यादातर सरकारी बैंक खस्ताहाल हैं। उनके लिए कर्ज वसूली बड़ी चुनौती है। वे वसूली के लिए गांधीगीरी के साथ नए-नए तरीके अजमा रहे हैं। इसके बाद भी हालात जस के तस हैं।
सहकारी बैंक ज्यादातर किसानों को कर्ज देते हैं, इसके बाद भी उनकी कर्ज की अदायगी का शेड्यूल शहरी क्षेत्रों से बेहतर रहा। दूसरी ओर नियमित आय वाले कर्जदारों की संख्या काफी अधिक है। जानकार कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज की जरूरत शहरी क्षेत्रों की तुलना में काफी कम होती है। शहरी क्षेत्र में जहां 50 लाख रुपए का लोन एक ही व्यक्ति को दिया जाता है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में इतनी राशि में 100 से अधिक लोगों को कर्ज मिलता है। इसके साथ ही कर्ज अदायगी का ट्रेक रिकॉर्ड छोटे और मझौले किसानों का अधिक बेहतर रहता है।

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